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बत्ती छीन लिया बदला!

July 5, 2016
in पर्वतजन
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सुप्रीम कोर्ट द्वारा लालबत्ती के लिए अनुमन्य महानुभावों की श्रेणियां तय करने के बावजूद शासन राज्य सरकार में विभिन्न संवैधानिक पदों पर कार्य कर रहे महानुभावों को लालबत्ती की सुविधा के विषय में उदासीन बना हुआ है

पर्वतजन ब्यूरो

राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त को केंद्रीय निर्वाचन आयुक्त के समान ही सुविधाएं देय हैं तथा राज्य निर्वाचन आयुक्तों को मुख्य सचिव के समान सुविधाएं अनुमन्य हैं। इन दोनों महानुभावों को लालबत्ती की सुविधा सहित तमाम सुविधाएं दी जाती हैं, किंतु मुख्य सूचना आयुक्त सहित राज्य सूचना आयुक्त को अपने वाहनों पर लालबत्ती लगाने की सुविधा प्राप्त नहीं है।

यह सत्ता का स्वाभाविक चरित्र है कि वह समूची ताकत को सिर्फ अपने पास ही केंद्रीकृत करना चाहती है अथवा अपने चहेतों तक ही सीमित करना उसका मुख्य चरित्र है। लालबत्तियों का मामला भी कुछ ऐसा ही है। उत्तराखंड में शासन और सत्ता इस विषय पर एक राय हैं। यहां संवैधानिक अस्तित्व न होते हुए भी कई विधायकों को सभा सचिव बनाकर लालबत्तियों की सुविधाएं दी गई हैं तो जिला पंचायत अध्यक्षों को भी अपनी गाडिय़ों पर लालबत्ती लगाने की सुविधा दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष २०१० में अभय सिंह बनाम् उत्तर प्रदेश सरकार के एक मुकदमे में यह साफ कर दिया था कि किन-किन महानुभावों को लालबत्ती की सुविधा दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने लालबत्ती की योग्यता रखने वाले महानुभावों की ए, बी, सी, डी चार श्रेणियां बना दी थी। इसमें ए श्रेणी में वाहन के ऊपर चमकने वाली लालबत्ती अनुमन्य की गई थी। इसमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सरीखे १२ तरह के महानुभाव तय किए गए थे। बी श्रेणी में बिना चमकने वाली लालबत्ती अनुमन्य की गई थी। इसमें मुख्य निर्वाचन आयुक्त सहित राज्य के मंत्री, राज्य व लोकसभा के स्पीकर आदि १५ तरह के महानुभाव सुनिश्चित किए गए थे। ग्रुप सी में ऐसे महानुभाव को लालबत्ती की सुविधा अनुमन्य की गई थी, जो ए और बी में वर्णित महानुभावों के समान ही सुविधा व सम्मान प्राप्त करने योग्य थे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस आदेश में यह भी स्पष्ट कर दिया था कि राज्य सरकारें भी इसी तरह से लालबत्ती का प्रयोग करने की राजाज्ञा जारी करेगी। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में बिल्कुल साफ कर दिया था कि राज्य सरकारें अपनी मर्जी से लालबत्तियों का कोटा अथवा पद नहीं बढ़ा सकती, किंतु इसके बावजूद भी उत्तराखंड सरकार इस मामले को लेकर मुख्य सचिव कार्यालय से लेकर परिवहन कार्यालय तक भ्रम की स्थिति बनी हुई। उदाहरण के तौर पर राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त को केंद्रीय निर्वाचन आयुक्त के समान ही सुविधाएं देय हैं तथा राज्य निर्वाचन आयुक्तों को मुख्य सचिव के समान सुविधाएं अनुमन्य हैं। इन दोनों महानुभावों को लालबत्ती की सुविधा सहित तमाम सुविधाएं दी जाती हैं, किंतु मुख्य सूचना आयुक्त सहित राज्य सूचना आयुक्त को अपने वाहनों पर लालबत्ती लगाने की सुविधा प्राप्त नहीं है। कुछ वर्ष पूर्व राज्य सूचना आयुक्त अपने वाहनों पर लालबत्ती इस्तेमाल करते थे, किंतु राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में स्थिति स्पष्ट न किए जाने से नाराज होकर सभी सूचना आयुक्तों ने अपने वाहनों से लालबत्तियां उतार दी थी।
प्रभारी मुख्य सूचना आयुक्त राजेंद्र कोटियाल कहते हैं कि वाहन के ऊपर लालबत्ती का प्रयोग करने न करने से कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन सूचना आयुक्तों के प्रति राज्य के सत्ता प्रतिष्ठान के उदासीन रवैये से जरूर फर्क पड़ता है। राजेंद्र कोटियाल कहते हैं कि जब सुप्रीम कोर्ट में वाहनों पर लालबत्ती लगाने के लिए विभिन्न श्रेणियां सुनिश्चित कर दी हैं तो ऐसे में उसका अनुपालन न करके जिम्मेदार अधिकारी सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था की अवमानना कर रहे हैं।
दी गई व्यवस्था के अनुसार लालबत्ती की सुविधाएं तय न करने से एक अलग तरह की अराजकता उत्पन्न हो गई है। जो लालबत्ती के योग्य नहीं हैं, वे धड़ल्ले से लालबत्ती और हूटर का प्रयोग कर आम जनता में रौब व दहशत गालिब कर रहे हैं तथा जो महानुभाव कानूनी रूप से लालबत्ती के लिए बाकायदा सुप्रीम कोर्ट द्वारा अधिकृत हैं, उनके विषय में स्थिति स्पष्ट न होने से वे लालबत्ती का प्रयोग नहीं कर रहे हैं।

वाहन पर लालबत्ती के नियम

तेज आवाज हार्न एवं निजी वाहनों पर पद नाम की पट्टिका पर प्रतिबंध राज्य सरकार द्वारा लाल बत्ती की अनुमन्यता से संबंधित पूर्व समस्त आदेशों को अतिक्रमित संशोधित अधिसूचना जारी कर दी गई है।
श्रेणी ‘कÓ राज्यपाल, उत्तराखण्ड, उच्च न्यायालय, नैनीताल के मुख्य न्यायाधीश, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, उत्तराखंड विधानसभा के अध्यक्ष, उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीशगण, उत्तराखंड राज्य विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष, राज्य मंत्रिमंडल के मंत्रिगण। शासकीय वाहनों में ड्यूटी के दौरान फ्लैशर युक्त लाल बत्ती का उपयोग कर सकते हैं।
श्रेणी ‘खÓ में वाहन के शीर्ष अग्रभाग पर फ्लैशर रहित लाल बत्ती, उत्तराखंड विधानसभा के उपाध्यक्ष, उत्तराखंड के राज्य मंत्री, मुख्य सचिव, अध्यक्ष लोक सेवा आयोग, महाधिवक्ता उत्तराखंड, अध्यक्ष, अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग, आयुक्त, राज्य निर्वाचन आयोग लगा सकते हैं।


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