दिल में जज्बा हो तो हर काम आसान हो जाता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है देहरादून की सवाल फाउण्डेशन की संस्थापक लक्ष्मी बिष्ट (मधु) ने। सवाल फाउंडेशन ने गरीब बच्चों के लिए कोचिंग क्लास शुरू करके अनोखा कार्य किया है।
सवाल फाउण्डेशन की संस्थापक लक्ष्मी बिष्ट (मधु) ने अपने संसाधनों से गरीब बच्चों के लिए देहरादून के एमकेपी पीजी कालेज में एसएससी, बैंक, रेलवे, वन रक्षक, आर्मी, ग्रुप सी,जीएनएम, यूटीईटी, महिला कांसटेबल आदि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए फ्री कोंचिग क्लास शुरू की है, जिसमें 150 से अधिक गरीब लड़कियां फ्री में प्रतियोगी परीक्षाओं की कोंचिग ले रही हैं। इसके अलावा गरीब लड़कियों को प्रतियोगिता संबंधी किताबें उपलब्ध करवाने के साथ ही आने-जाने का किराया भी दिया जा रहा है।
एमकेपीजी कालेज में एक सप्ताह के एक दिन किसी बड़ी प्रतिभावान महिला/पुरुष को लड़कियोंं के साथ मोटिवेट क्लास करवाई जाती है, ताकि लड़कियां खुल के अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकें।
सवाल फाउण्डेशन के संस्थापक लक्ष्मी बिष्ट (मधु) एक सफल पत्रकार भी हैं और समाज में गरीब वर्गों के लोगों के प्रति दयाभाव रखने के साथ ही गरीब बच्चों के प्रति बेहद लगाव रखती हैैं। मधु कहती हंै कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा सिर्फ नारा तक सीमित है। आज भी गरीब घरों की लड़कियां पैसे की अभाव में आगे नहीं पढ़ पाती हैं। जिस कारण लड़कियों को अपने मन की इच्छाओं को दबाकर अपने मां बाप की हालातों को देखकर शादी कर लेती हैं और फिर अपनी गृहस्थी संभालने में पूरा जीवन लगा देती हैैं, इसलिए हमने दो वर्ष पहले सवाल फाउण्डेशन बनाकर गरीब लड़कियों को आगे बढ़ाने के लिए यह कार्य शुरू किया है।
पहाड़ों से हमारी बेटियां यहां पढऩे आती हैं। मां बाप रहने का कॉलेज की फीस के साथ ही अन्य जरूरतों को पूरा करने में ही इतना पैसा चला जाता है कि अन्य संस्थाओं में कोचिंग की मोटी फीस देने में वह असमर्थ होते हैं। ऐसे में उनका हुनर वहीं दब कर रह जाता है। कभी-कभी हमारी बेटियां गलत रास्ते पर भी निकल पड़ती हैं। जिसको ध्यान में रखते हुए हमने यह एक छोटा सा प्रयास किया है और अभी तक हमें बहुत अच्छे परिणाम भी मिले हैं। साथ ही ऐसी महिलाओं/पुरुषों से अनुरोध करती हूं कि जो भी गरीब बच्चियों की मदद के लिए आगे आना चाहता हो, वह हमारी संस्था के फेसबुक पेज से जुड़ें या इन नंबरों 9058514500, 9105864046, 9412026318 पर संपर्क करके अपना अमूल्य योगदान समाज की इन बेटियों को दें, जिससे हम एक नए भविष्य की कल्पना कर सकते हैं। ताकि कभी कोई बेटी किसी के आगे भविष्य में मजबूर होकर हाथ न फैलाए और वह अपने पैरों पर खड़ी हो सकें।