पर्वतजन
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • इनश्योरेंस
  • निवेश
  • ऋृण
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम
No Result
View All Result
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • इनश्योरेंस
  • निवेश
  • ऋृण
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम
No Result
View All Result
पर्वतजन
No Result
View All Result

Home पर्वतजन

ब्लड बैंक हैं या ड्रैक्युला!

May 3, 2017
in पर्वतजन
ShareShareShare
blood-bank-hai-ya-draculla

महंगी जांचों के नाम पर निजी ब्लड बैंकों ने खून के दाम बढ़ा दिए हैं। रक्तदान करने वाले आम लोगों में बढ़े हुए दामों से काफी आक्रोश है।

मामचन्द शाह

ड्रैकुला नाम से तो आप सभी परिचित ही होंगे। ड्रैकुला एक ऐसा शब्द है, जिसका नाम सुनते ही बड़े-बड़े पैने दांतों वाला खून पीने वाले पिशाच का चित्र आपकी आंखों के सामने उभरकर आ जाता है। ड्रैकुला को एक ऐसे पात्र के रूप में ब्रेम स्टोकर ने चित्रित किया, जिसके पास अलौकिक शक्तियां थी और वह लोगों का खून पी जाता था। ब्रेम स्टोकर का १८वीं शताब्दी में लिखा ‘ड्रैकुला उपन्यासÓ दुनियाभर में बहुत मशहूर हुआ। लेकिन यहां बात की जा रही है उत्तराखंड के ब्लड बैंकों की, जो ड्रैक्युला की राह चल पड़े हैं।
आपने अक्सर लोगों को ‘रक्तदान महादानÓ कहते हुए अवश्य सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आफत की घड़ी में रक्तदान लेने वाले ब्लड बैंक ही आपके लिए ड्रैक्युला साबित हो सकते हैं। अप्रैल माह से जिस कदर देहरादून में ब्लड के दाम आसमान छूने लगे हैं, उससे बीमार व तिमारदार अब ब्लड बैंकों को डै्रक्युला के रूप में देखने लगे हैं।
देहरादून में मरीजों व उनके तीमारदारों को अब प्रति यूनिट पर १५ से ४० प्रतिशत तक अधिक धनराशि खर्च करनी पड़ेगी। उत्तराखंड के सबसे बड़े आईएमए ब्लड बैंक में जरूरतमंदों को 1200 रुपए में मिलने वाले खून के लिए अब प्रति यूनिट 1950 रुपये चुकाने पड़ेंगे। यहां अब ब्लड प्रति यूनिट ७५० रुपया महंगा हो गया है। हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट ब्लड बैंक में 1100 से बढ़ाकर प्रति यूनिट की कीमत 1500 रुपये कर दी गई है। श्री महंत इंदिरेश हॉस्पिटल ब्लड बैंक में भी पहले 1200 में एक यूनिट ब्लड मिलता था, जो अब तीमारदारों को 1350 रुपये में खरीदना पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि देहरादून का हृदयस्थल गांधी पार्क के बाहर अक्सर आईएमए ब्लड बैंक की गाड़ी खड़ी दिखाई देती है। पार्क में प्रतिदिन सैकड़ों लोग घूमने आते हैं। जब वे देखते हैं कि रक्तदान की गाड़ी खड़ी है तो बड़ी शान से इस उम्मीद में स्वैच्छिक रक्तदान करते हैं कि उनका खून किसी गरीब के काम आ जाएगा, लेकिन खून के दाम बढऩे से उन स्वैच्छिक रक्तदाताओं को बड़ा झटका लगा है।
रक्तदाताओं का कहना है कि ब्लड बैंकों को ब्लड नि:शुल्क मिलता है। ऐसे में जांचों के नाम पर कुछ शुल्क लगना ठीक है, लेकिन ब्लड की रेट लिस्ट में सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए। विभिन्न कालेजों में पढऩे वाले छात्र-छात्राएं भी मानते हैं कि वे रक्तदान ब्लड बैंकों को मोटा मुनाफा कमाने के लिए नहीं करते, बल्कि वे तो केवल जरूरतमंदों व गरीबों की मदद के लिए ब्लड डोनेशन करते हैं। प्राइवेट ब्लड बैंक खून बेचकर कितनी कमाई करते हैं, इसका डाटा सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
यदि ब्लड बैंक मरीजों की जेब काट रहे हैं तो रक्तदाताओं को भी प्राइवेट के बजाय सरकारी अस्पतालों में ही रक्तदान करना चाहिए। वर्तमान में सरकारी ब्लड बैंकों में स्टाफ और संसाधनों की भारी कमी है। जब-तब जरूरत पडऩे पर लोग निजी ब्लड बैंकों की ओर दौड़ लगाने को मजबूर हो जाते हैं। सरकार यदि अपने सभी ब्लड बैंकों की दशा सुधार ले तो मरीजों को बहुत कम कीमतों पर ब्लड आसानी से उपलब्ध हो सकता है।
आईएमए ब्लड बैंक के डा. संजय उप्रेती कहते हैं कि ब्लड बैंक में खून की नेट(हृश्वञ्ज) टेस्टिंग शुरू की गई है। इससे खून ज्यादा सुरक्षित रहता है। जिससे संक्रमण का पता कम समय में लग जाता है। क्कक्रष्ठष्ट की कीमत में ही बढ़ोतरी हुई है। उप्रेती कहते हैं कि उन्होंने तीन साल पहले केंद्र सरकार ने हृश्वञ्ज टेस्टिंग करने के लिए १२०० का शुल्क बढ़ाने की बात कही थी, जबकि अब ७५० रुपए ही अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है।
हालांकि ब्लड बैंकों की मनमानी पर देहरादून के जिलाधिकारी रविनाथ रमन ने सीएमओ की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी गठित कर दी है। जांच कमेटी से गत एक साल में कितना यूनिट रक्त एकत्र किया और उससे कितनी कमाई की गई, का पूरा डाटा मांगा गया है। इसके अलावा उन्होंने रेडक्रास सोसाइटी के जरिए एकत्र होने वाले सारे रक्त को सरकारी अस्पतालों के ब्लड बैंकों को ही देने के निर्देश दिए हैं। डीएम ने ब्लड के नए रेट तय करने की भी बात कही है।
खून को ज्यादा लंबे समय तक संरक्षित करके नहीं रखा जा सकता। ऐसे में यदि रक्तदाताओं को जरूरत पडऩे पर रक्त दिए जाने की विशेष व्यवस्थाएं हों तो अधिकाधिक लोग रक्तदान के लिए प्रेरित हो सकते हैं, लेकिन अक्सर होता यह है कि रक्तदाता को जरूरत पडऩे पर नि:शुल्क रक्त प्राप्त करने के लिए हतोत्साहित किया जाता है। यदि सरकार सरकारी ब्लड बैंकों की क्षमता में वृद्धि करे तो आम आदमी निजी ब्लड बैंकों की अपेक्षा सरकारी ब्लड बैंकों को रक्तदान करने के प्रति रुचि दिखा सकता है।

प्रति यूनिट दर आईएमए ब्लड बैंक देहरादून

पहले १२००

अब १९५०

हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट

पहले ११००

अब १५००

महंत इंदिरेश ब्लड बैंक

पहले १२००

अब १३५०

दून मेडिकल कालेज ब्लड बैंक

भर्ती मरीजों को २५०

बाह्य मरीजों को ६५०


Previous Post

'टै्किंग की राह का रोड़ा बना ईको टैक्स!'

Next Post

दलबदल की पारी सहकारी बैंक में भी जारी

Next Post

दलबदल की पारी सहकारी बैंक में भी जारी

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *






पर्वतजन पिछले २3 सालों से उत्तराखंड के हर एक बड़े मुद्दे को खबरों के माध्यम से आप तक पहुँचाता आ रहा हैं |  पर्वतजन हर रोज ब्रेकिंग खबरों को सबसे पहले आप तक पहुंचाता हैं | पर्वतजन वो दिखाता हैं जो दूसरे छुपाना चाहते हैं | अपना प्यार और साथ बनाये रखिए |
  • बिग ब्रेकिंग: कैबिनेट के महत्वपूर्ण फैसले ..
  • हाईकोर्ट सख्त: नाबालिग से दुष्कर्म मामले में सोशल मीडिया ट्रोलिंग पर SSP से मांगी रिपोर्ट। अभद्र पोस्टों की जांच के निर्देश..
  • बड़ी खबर : गोल्डन कार्ड धारकों की परेशानी जल्द होगी दूर। स्वस्थ मंत्री ने दिए सख्त निर्देश..
  • अपराध : तमंचे के बल पर नाबालिग से दुष्कर्म। आरोपी गिरफ्तार ..
  • हाइकोर्ट न्यूज: हेलीकॉप्टर लीज घोटाले में 9.5 लाख रुपये लौटाने का आदेश..
  • Highcourt
  • उत्तराखंड
  • ऋृण
  • निवेश
  • पर्वतजन
  • मौसम
  • वेल्थ
  • सरकारी नौकरी
  • हेल्थ
May 2025
M T W T F S S
 1234
567891011
12131415161718
19202122232425
262728293031  
« Apr    

© 2022 - all right reserved for Parvatjan designed by Ashwani Rajput.

No Result
View All Result
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • इनश्योरेंस
  • निवेश
  • ऋृण
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम

© 2022 - all right reserved for Parvatjan designed by Ashwani Rajput.

error: Content is protected !!