दून मे 12 मार्च 2018 को राज्य सरकार की कैबिनेट बैठक में उपनल कर्मचारियों के लिए कोई भी ठोस एवं सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया। इस पर पूरे प्रदेश के समस्त कर्मचारी आगामी आंदोलन के लिए बाध्य हो रहे हैं। समस्त कर्मचारी राज्य सरकार के इस टालमटोल वाले रवैया से बेहद आहत हैं, जबकि सरकार के आश्वासन पर 1 माह का अतिरिक्त समय भी वेतन वृद्धि एवं सुरक्षित भविष्य की नीति हेतु महासंघ द्वारा स्वीकार कर लिया गया 2 माह व्यतीत हो जाने के बाद भी सरकार की ओर से कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई।
इस मामले को लेकर आज दिनांक 13 मार्च 2018 को विधायक आवास में दीपक चौहान प्रदेश अध्यक्ष उपनल कर्मचारी महासंघ की अध्यक्षता में एक आपातकालीन बैठक आहूत की गई।
बैठक को संबोधित करते हुए भावेश जगूड़ी ने कहा कि भाजपा की सरकार भी पूर्व की सरकार की तरह उपनल कर्मचारियों के साथ मात्र मजदुर मानती है। उनकी मंशा भी हमारा हित करने की नही है। हर बार उपनल कर्मचारियों को आश्वासन दिया जाता है कि आगामी बैठक में कर्मचारियों के हित के लिए सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा किंतु नतीजा शुन्य है।
उपनल कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष दीपक चौहान ने राज्य सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि जुबान का मोल केवल गरीब आदमी ही जानता है ,”इसलिए हमने तो सरकार के आश्वासन पर शांति बनाए रखी लेकिन इन अधिकारियों और मंत्रियों की जुबान पर आश्वासन का महत्व आज कहीं पर भी नहीं दिख रहा है क्योंकि आज 2 माह व्यतीत हो जाने पर भी उनके द्वारा केवल बहकाने वाली बातें की जा रही है”।
महासंघ ने यह भी जाहिर कर दिया है कि उसकी मंशा अन्यथा हड़ताल करनी है किसी को परेशान करने की कभी नहीं रही, लेकिन उपनल कर्मचारियों को इस प्रकार से प्रताड़ित किया जाता है तो अब वह भी चुप नहीं रहने वाले। इस बार आंदोलन का खामियाजा राज्य सरकार को उठाना पड़ेगा। हजारों उपनल कर्मचारी अपने परिवार चलाने में खुद को नाकाम पा रहे हैं। साथ ही जिन की नौकरी योजनाओं के बंद होने से छीन ली गई है, वह निराशा में जी रहे हैं। इस आंदोलन में उन लोगों के भी शामिल होने से आग में घी डालने जैसी स्थिति पैदा हो जाएगी।
उपनल कर्मचारी महासंघ प्रदेश सरकार को अंतिम बार 1 सप्ताह का समय देते हुए कहा है कि दिनांक 21 मार्च 2018 तक यदि उपनल कर्मचारियों के लिए वेतन वृद्धि और सुरक्षित भविष्य के लिए ठोस कार्यवाही का आदेश जारी नहीं किया जाता है तो उपनल कर्मचारी महासंघ के बैनर तले प्रदेश के संपूर्ण कर्मचारी 20 हजार की संख्या में देहरादून में आकर अनिश्चितकालीन आंदोलन के लिए बाध्य हो जाएगा।