पिछले कुछ दिनों से समाचार पत्रों मे विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के पुत्र की उपनल द्वारा संविदा में जल संस्थान में हुई अस्थाई नियुक्ति को लेकर समाचार प्रकाशित किये जाने के बाद उनके पुत्र ने पद से इस्तीफा दे दिया है। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि मैं व्यक्तिगत रुप से प्रेस की स्वतंत्रता का घोर समर्थक रहा हूँ और समय -समय पर प्रेस की आजादी को लेकर लड़ता रहा हूँ। मुझे आश्चर्य है कि बिना मेरा पक्ष जाने बगैर कुछ अखबारों ने इस मसले में मेरा नाम घसीट कर मुझे आहत किया है।
जाहिर है कि चौतरफा विरोध के बाद शासन ने भी उनके पुत्र की नियुक्ति के प्रकरण में जांच बैठा दी गई थी और उनके पुत्र की नियुक्ति के साथ ही इस तरह की अन्य नियुक्तियों पर गाज गिरने की संभावना प्रबल हो गई थी। बहरहाल समय रहते प्रेमचंद अग्रवाल ने डैमेज कंट्रोल कर लिया।
श्री अग्रवाल ने कहा कि उनका पुत्र बालिग है ,शिक्षित- प्रशिक्षित व संस्कारित है और अपनी क्षमता एंवम रूचि के अनुसार कही आवेदन करने तथा नियुक्ति पाने का हकदार है । अगर वह बिना किसी मेरे प्रभाव के स्वल्प मानदेय पर किसी विभाग में ठेकेदारी प्रथा द्वारा कार्य करता है तो यह उसका व्यक्तिगत निर्णय है । और इससे मेरा कोई लेना -देना नही है । प्रेमचंद अग्रवाल यह कटाक्ष करना भी नहीं भूलेगी
वर्तमान समय में राजनीति में शामिल लोगों के पुत्र – पुत्रियां अमूमन स्वल्प वेतन पर ठेकेदारी प्रथा पर काम नही करते , मीडिया द्वारा समय समय पर प्रकाशित होता रहा है कि राजनीति से जुडे लोगों की संतान व रिश्तेदार ठेकेदारी ,खनन ओर अन्य तरह के अवैध धन्धों में सम्मलित रहते है । प्रेमचंद अग्रवाल ने दावा किया कि ढेड दशक की विधायकी के साथ 38 वर्ष के राजनैतिक जीवन मे कोई भी आरोप नही लगे। उनका पुत्र अगर कोन्टेक्ट के आधार नोकरी कर रहा है तो केवल इसलिए कि उन्होंने अपने प्रभाव की आड़ में कुछ लाभ लेने को स्पष्ट मना कर रखा है । अब अगर कोई यह कहे कि मेरा पुत्र उपनल के द्वारा नौकरी करते हुये अपनी जीविका अर्जित करने से कुछ अनुचित कर रहा है तो इसके विषय में आश्चर्य प्रकट करने के मैं क्या कर सकता हूं । विधानसभा अध्यक्ष ने मीडिया से कहा कि उनके पुत्र पीयूष अग्रवाल ने पिता की छवि पर लगातार हो रहे प्रहार के कारण स्वतः ही शनिवार सांय को उपनल में अपने पद से इस्तीफा दे दिया है अतःये विषय समाप्त समझा जाए ।
उन्होंने जोड़ा कि परमेंट नियुक्ति नहीं है ,जो सिस्टम था उसके तहत नियुक्ति हुई है।बेटे की नियुक्ति में किसी भी तरह का हाथ होने से इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि प्रकरण में उनका कोई रोल नहीं है ,न ही उनके द्वारा कोई भी फोन और किसी प्रकार की सिफारिश की गई है।
गौरतलब है कि विधानसभा अध्यक्ष के पुत्र की नियुक्ति पर भले ही प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने अपना नरम रुख रखा किंतु विधानसभा अध्यक्ष भाजपा के शीर्ष नेताओं के तीखे बयानों अधिक आहट बताए जा रहे हैं।