80% का मिलेगा अनुदान
गिरीश गैरोला
पलायन से खाली हो रहे उत्तराखंड के पहाड़ी गांवो के लिए एक राहत देने वाला निर्णय केंद्र सरकार ने लिया है। भारत सरकार ने समूह को खेती करने के लिए 10 लाख के कृषि यंत्र महज 20 फीसदी भुगतान और 80% अनुदान पर देने के लिए योजना चलाई है।
इससे पूर्व भी कृषि यंत्रों पर 10 से 30% का अनुदान मिलता रहा है किंतु राज्य सरकार का अंशदान नही मिलने के चलते योजना प्रभावी रूप से काम नही कर पाई थी । रही सही कसर डीलरों द्वारा घटिया गुणवत्ता के कृषि उपकरणों की आपूर्ति से पूरी हो गयी और पहाड़ के बंजर खेत आबाद न हो सके।
हिटो पहाड़ नाम से मैदान से पढ़े लिखे नौजवानों ने अपने पहाड़ में फिर से कृषि सुरु करने का बीड़ा उठाया है। हिटो पहाड़ा के संजय बुड़ाकोटी और जय प्रकाश नवानि ने बताया कि उन्होंने कुछ वर्ष पूर्व पौड़ी के एक गाव में फिर से अपने खेतों को आधुनिक तकनीकी और फार्मिंग इक्विपमेंट्स के साथ सुरु किया था। खेती के साथ होंम स्टे योजना पर काम करते हुए उन्होंने न सिर्फ मटर की बेहतरीन फसल तैयार की बल्कि विदेशियों को भी अपने खेतों में रात्रि विश्राम करवा कर पर्यटन की नई परिभाषा लिखने का काम किया। हिटो पहाड़ा के जय प्रकाश नवानि ने बताया कि विदेशियों को पहाड़ो में उगी शुद्ध जैविक उत्पाद बेहद भा रहे है हर वे खुद खेतो से फसल तोड़कर अपने आप किचन में इसे तैयार कर प्रशन्न हो रहे है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा 80 % अनुदान पर कृषकों के समूह को 10 लाख तक के कृषि यंत्र दिए जा रहे है उसका नौजवानों को लाभ उठाना चाहिए।
कृषि यंत्र खरीदने के लिए जिन कंपनी का चयन उत्तराखण्ड सरकार द्वारा किया गया है उनमें से एक उनकी हिटो पहाड़ा संस्था भी है जो डेनमार्क से टैक्सेस के नाम से बाजार में कृषि यंत्र बनाकर देती है। जिसके बाद उनके इस नारे को बल मिलेगा -बंजर खेत होंगे आबाद, पहाड़ चलेगा स्वरोजगार की राह।
मुख्य कृषि अधिकारी महीधर सिंह तोमर ने बताया कि कम से कम 8 किसानों का समूह ग्राम अथवा ब्लॉक स्तर पर तैयार किया जा सकता है जो पूरे इलाके में किराए पर कृषि यंत्र देकर इनका रखरखाव करने का भी काम करेगा।इस प्रयास से कम मानव श्रम से ज्यादा उत्पादन मिलेगा। ये यंत्र एक लीटर फ्यूल में दो से ढाई घंटे काम कर सकते है और डेढ़ फीट के रास्ते पर टायर की मदद से भी चलाए जा सकते है । कृषि के अलावा उद्यान में निराई गुडाई के लिए भी ये कृषि यंत्र उपयोगी है। किसान महज दो लाख रु देकर 10 लाख के यंत्र खरीद सकेगा।