तारिख पर तारीख दे रहा जिला प्रशासन। अतिक्रमण हटाओ अभियान में दोहरे मानक अपनाने का आरोप।बाजार बंदी और विशाल विरोध झलूस के बाद खुली मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट। आंदोलन तोड़ने के लिए प्रशासन पर “बाँटो और राज करो” कि नीति अपनाने का लगाया आरोप। 28 से शुरू होगा आमरण अनशन।
गिरीश गैरोला
21 जून विश्व योग दिवस पर जहाँ सरकारी अधिकारियों ने विश्व के स्वास्थ्य की कामना के साथ योग किया, वहीँ उत्तरकाशी में प्रशासन की दोहरी नीति का शिकार हुए विश्वनाथ चौक के व्यापारियों ने भूखे पेट हवन कर जिला प्रशासन की बुद्धि शुद्धि के लिए हवन किया।
बताते चलें कि ‘अतिक्रमण हटाओ अभियान’ में दोहरे मानक अपनाए जाने के आरोप झेल रहे जिला प्रशासन ने बाजार बंदी और विशाल विरोध प्रदर्शन के बाद मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट पर बाद 72 घंटे में कार्यवाही का भरोसा दिया था। जिस पर अब ठंडे बस्ते में डालकर आंदोलन को तोड़ने का नया आरोप लगने लगा है। अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत पालिका ने भारी पुलिस फ़ोर्स के साथ विश्वनाथ चौक पर जबरन दुकानें तोड़कर यहीं इस अभियान को रोक दिया था। जिसके बाद अतिक्रमण हटाने में दोहरी नीति अपनाने के खिलाफ नगर के व्यापारी लामबंद है।
चौक के पीड़ित व्यापारी जसवीर ने बताया कि वह 1999 में एमएससी पास है। पत्नी नहीं है लिहाजा, बच्चों की जिम्मेदारी पड़ी तो पेट की भूख शांत करने के लिए अस्पताल के पास अपने पिता के जमाने से जमा हुआ चाय के ठेले पर काम शुरू किया था। जिसे प्रशासन ने दोहरी नीति अपनाते हुए हटा दिया। अब जब अतिक्रमण पर मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट आ गयी तो उसके बाद जिला प्रशासन इसे ठंडे बस्ते में डालने और आंदोलन को तोड़ने के प्रयास में है। 18 जून की बैठक में उन्हें भरोसा दिलाया गया था कि 72 घंटों के भीतर ठोस कार्यवाही अमल में लायी जाएगी, जिसमें नगरपालिका को 10 वर्ष से अधिक पुराने दुकानदारों की लिस्ट बनाने और उनकी वैकल्पिक व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए थे, किन्तु तीन दिन बाद न तो उनसे कोई संपर्क किया गया और न पालिका ने कोई लिस्ट ही तैयार की है। जिला प्रशासन की कार्यवाही कुछ ऐसी है कि शादी हुई नहीं और बच्चे के नामकरण पर चर्चा की जा रही हो। ठोस कार्यवाही की बजाय जिला प्रशासन तारीख पर तारीख देकर आंदोलन को ठंडा पड़ने का इंतजार कर रहा है।
पीड़ित व्यापारी जसवीर रावत ने आरोप लगाया है कि प्रशासन की सारी रणनीति उनके आंदोलन को तोड़ने की है और उन्हें आमरण अनशन जैसे अंतिम हथियार को अपनाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने योग दिवस पर तंज कसते हुए कहा कि धरनास्थल की दीवार के अंदर सरकारी महकमा खाली पेट योग कर रहा है, जबकि पीड़ितों ने भूखे पेट जिला प्रशासन की बुद्धि शुद्धि के लिए हवन किया है, क्योंकि स्वस्थ रहने के लिए योग के साथ अच्छे भोग की भी जरूरत है, किन्तु उनकी रोजी रोटी पर प्रशासन ने ठोकर मार दी है, जिसके बाद उनके घरों के चूल्हे बुझने की नौबत आ गयी है। इतना ही नहीं जुलाई में स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की फीस जमा नहीं हुई तो उन्हें शिक्षा से भी वंचित रहना पड़ेगा।
सामाजिक कार्यकर्ता अमरिकन पूरी कहते हैं कि उनके द्वारा प्रशासन पर अतिक्रमण हटाने में दोहरे मानक अपनाने के आरोप अब खुद ही सच साबित हो रहे हैं। जब मजिस्ट्रेट जांच की रिपोर्ट के बाद न तो अतिक्रमण हटाने की दिशा में कार्यवाही हो सकी और न व्यापारियों को उचित स्थल पर ही शिफ्ट किया जा सका। जाहिर है कि मामले को जानबूझ कर ठंडा करने और आंदोलन को तोड़ने के लिए ही रणनीति बनाई जा रही है। लिहाजा वे 28 जून से आमरण अनशन शुरू कर रहे हैं, जिसकी पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी।
गौरतलब है कि 18 जून की बैठक के बाद सब्जी मंडी को शिफ्ट करने के लिए तीन स्थल जांच कमेटी ने सुझाये थे, जिसमें जियो ग्रिड दीवार के पीछे की जमीन पर सब्जी मंडी को शिफ्ट करने पर लगभग सहमति बन गयी थी, किन्तु दीवार के पीछे का स्थान अस्थायी रूप से बसों की पार्किंग के लिए दिया गया था।
बस यूनियन के अध्यक्ष गजपाल सिंह रावत ने बताया कि यदि बस अड्डा निर्माण होने से पूर्व ही यदि जियो ग्रिड दीवार के पीछे से उनकी बसों को हटाया गया तो वे बस संचालन बंद कर आंदोलन शुरू कर देंगे।
वहीं विश्वनाथ चौक से तोड़ी गई दुकानों के स्थायी और वैकल्पिक स्थापना की दिशा में कोई कार्यवाही आगे नहीं बढ़ सकी है। लिहाजा इस चुप्पी को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है।
लॉ ऑफ जस्टिस की बात कहकर पूर्व में हटाये गए अतिक्रमण में जल्दबाजी का आरोप लगाते हुए डीएम आशीष चौहान ने नगरपालिका प्रशासक को खूब फटकार लगाई थी, किन्तु अब सभी कानूनी पहलुओं पर कार्यवाही करने और मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट के बाद क्यों कदम ठिठक गए, इसका जवाब व्यापारी सुनने को उत्सुक हैं।