रविवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कांग्रेस को ललकारते हुए कहा कि यदि उनके पास स्टिंग है तो वे परेड ग्राउंड में बड़ी स्क्रीन लगाकर सबको दिखाएं।मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस बयान के बाद कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश बैकफुट पर हैं। यही नहीं त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक और खुलासा करते हुए कहा कि इंदिरा हृदयेश ने अपने बेटे के मेयर के चुनाव में हल्द्वानी सीट पर हलका हाथ रखने के लिए कहा था। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि इंदिरा हृदयेश अपने बेटे की हार से बौखला गई है। अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर कांग्रेस यह स्टिंग दिखाना क्यों नहीं चाहती ! इसका एक बड़ा कारण यह हो सकता है कि कांग्रेस भाजपा को इसके जरिए दबाव में रखना चाहती होगी किंतु अब मुख्यमंत्री के पलटवार के बाद दबाव की रणनीति असफल हो गई है। ऐसे में कांग्रेस का अगला कदम देखने लायक होगा। कांग्रेस पर एक बड़ा सवाल यह भी है कि जब हरीश रावत का स्टिंग हुआ था तो भाजपा ने इस स्टिंग की 700 पेन ड्राइव में कापियां बनाकर न्याय पंचायत स्तर पर बड़ी टीवी स्क्रीन में दिखाई थी और अपने प्रचार वाहनों में भी जगह जगह हरीश रावत कास्टिंग दिखाया था। भाजपा तब हरीश रावत का स्टिंग दिखा सकती है तो अब कांग्रेस पर सवाल खड़े होने लाजिमी है। स्टिंग की मूल प्रति ना होना महज एक कुतर्क माना जा रहा है। मुख्यमंत्री के पलटवार के बाद नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष पर सवाल खड़े हो रहे हैं। भाजपा प्रदेश महामंत्री संगठन संजय कुमार के प्रकरण में भी पीड़िता को विपक्ष का संरक्षण न मिलने से एक और सवाल यह भी है कि आखिर ऐसे और कितने मामले होंगे कि जिसमें मुख्य विपक्षी पार्टी का संरक्षण पीड़ितों को नहीं मिल पाने से यह मामले अभी भी दबे हुए हैं !