कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड हाई कोर्ट ने वाडिया इंस्टिट्यूट व इसरो की मदद से हर तीन माह में गौमुख व समीपवर्तीय क्षेत्रों का दौरा करके रिपोर्ट को कोर्ट में पेश करने को कहा है । पहली रिपोर्ट आगामी 31 अगस्त तक कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए गए हैं । साथ में कोर्ट ने कहा है कि यदि वहां पर झील बनी है तो उसे वैज्ञानिक तरीके से हटाया जाए और वहाँ एकत्रित मलबे को भी हटाया जाए ।
मुख्य न्यायधीश के.एम.जोसफ व न्यायाधीश शरद कुमार शर्मा की खण्डपीठ ने मामले को सुनने के बाद इस जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है। मामले के अनुसार दिल्ली निवासी अजय गौतम ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि गौमुख पर करीब डेढ़ किलोमीटर के हिस्से में 30 मीटर ऊँचा व ढाई सौ मीटर चौड़ाई में चट्टान व हजारो टन मलबा जमा है । वहाँ डेढ़ किलोमीटर के दायरे में झील बन गयी है, जिससे कभी केदार नाथ की तरह आपदा आ सकती है । सरकार ने अपने जवाब में केवल झील को ही फोकस में रखा है झील का हवाई सर्वे व स्थलीय निरीक्षण उस समय किया गया जब झील पूरी तरह से बर्फ से ढकी थी। याची ने कहा कि इसका निरक्षण मई या जून माह में किया जाना चाहिए था। जबकि इनपुट एजेंसी की रिपोर्ट साफ तौर पर कहती है कि वहां हजारों टन मलबा अभी जमा है । याचिकाकर्ता का कहना है कि ग्लेशियर प्रत्येक वर्ष पिघल रहा है, झील ने वहां अपना स्वरूप ले लिया है।
इससे गंगा नदी का अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है ।
इसलिए इस मलबे को वहां से तुरंत हटाया जाए। दिल्ली निवासी आचार्य अजय गौतम की इस जनहित याचिका को इन दिशा निर्देशों के साथ निस्तारण कर दिया गया है ।