देश के प्रमुख अखबार दैनिक भास्कर के मालिक सुधीर अग्रवाल पर उनके ही कर्मचारी की पत्नी ने खुद के साथ और फिर नाबालिग बिटिया के साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगाया है।
किंतु ना उसकी बात शासन प्रशासन ने सुनी और ना किसी अखबार ने उन की आवाज को उठाने की जरूरत की।
हार कर उसे सुप्रीम कोर्ट की शरण लेनी पड़ी। सुप्रीम कोर्ट ने अखबार के मालिक और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों को नोटिस जारी किया है इसकी सुनवाई 2फरवरी को होनी है।
भोपाल की इस महिला का कहना है कि दैनिक भास्कर में उनके पति काम करते हैं। एक दिन दैनिक भास्कर में काम करने वाले कुछ वरिष्ठ अधिकारी आए और उनके साथ दुष्कर्म किया। उनके पति ने नौकरी जाने के डर से दुष्कर्म के खिलाफ आवाज नहीं उठाई। इसका फायदा उठाते हुए आरोपियों ने एक और दिन आकर उसकी लड़की से भी अपनी हवस मिटाई।
महिला का कहना है कि वह मुख्यमंत्री तक गयी। तमाम अधिकारियों से मिली लेकिन अधिकारियों ने उल्टे उसे ही मेंटल अस्पताल में दाखिल कर दिया।
अब महिला अपने मायके रायपुर में रह रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार महिला ने जब सुप्रीम कोर्ट की शरण ली तब जाकर सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी को नोटिस भेजकर 4 जनवरी तक इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा था ।अब इसमें 2 फरवरी की तारीख नियत की गई है।
देश में हजारों अखबार हैं और सैकड़ों टीवी चैनल हैं लेकिन किसी भी मीडिया ने इस खबर को दिखाने की जरुरत नहीं समझी।
आम तौर पर यह देखा गया है कि बड़े मीडिया घराने अपने लिए चुनौती बन सकने वाले छोटे मीडिया हाउस के खिलाफ दुर्भावना की हद तक जाकर खबर छापने से पीछे नहीं रहते। लेकिन अपने स्तर के मीडिया घरानों की काली करतूतों पर साझा भाईचारा अपनाते हुए पर्दा डाल देते हैं। मीडिया से संबंधित चैनल भड़ास4मीडिया डॉट कॉम के अलावा यह खबर किसी ने भी नहीं दिखाई। यही कारण है कि प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के समक्ष अब सोशल मीडिया ही जनता की एकमात्र उम्मीद बन कर उभर रहा है।