पावर छिन जाने से बढा पावर वार!
अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश के पर कतरे जाने से सचिवालय में शीतयुद्ध की शुरुआत हो गई है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग जैसा भारी-भरकम महकमा छिन जाने के बाद अब तक एकतरफा निर्णय ले रहे अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश खुद को थोड़ा हाशिए पर महसूस करने लगे हैं।
हाल ही में प्रतिनियुक्ति से दिल्ली से लौटे IAS नितेश कुमार झा मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की पसंद माने जाते हैं। ओम प्रकाश से स्वास्थ्य महकमा छीनकर नितीश कुमार झा को दिए जाने से अब तक का शक्ति संतुलन गड़बड़ा चला है।
पाठकों को यह जानकर आश्चर्य नहीं होगा कि स्वास्थ्य विभाग में एनआरएचएम 600 करोड रुपए के बजट की योजना है। यह योजना वर्ल्ड बैंक के उधार से भारत सरकार के माध्यम से चलाई जा रही है। इस योजना में यह महत्वपूर्ण नहीं है कि पैसा कैसे और कहां खर्च हो रहा है। पूरा फोकस यह है कि बस किसी तरह से पैसा खर्च हो। इसी बजट को ठिकाने लगाने के लिए ओम प्रकाश उत्तर प्रदेश से अपने चहेते इंजीनियर को देहरादून लाए थे और उन्होंने इस बजट को ठिकाने लगाने के लिए लंबा-चौड़ा जाल बुना था। ओम प्रकाश इस भारी भरकम बजट वाले महकमे को छोड़ना नहीं चाहते थे। वह लंबे समय से इस पर काबिज थे।
नीतीश कुमार झा ने महकमा संभालते ही मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना (एम एस बी वाई) जैसी योजना संभाल रही बजाज आलियांज नामक कंपनी को हल्का झटका देकर यह संदेश दे दिया कि पुराना दौर खत्म हो चुका है।
कुछ दिन पहले डॉक्टरों के जबरन स्थानांतरण का भी मुख्य सचिव ने संज्ञान लिया है। कोटद्वार से जबरन उत्तरकाशी ट्रांसफर किए गये जगदीश चंद्र ध्यानी का ट्रांसफर रद्द करते हुए वापस कोटद्वार भेज दिया गया है। उत्तरकाशी के डॉक्टर रौतेला का भी ट्रांसफर रद्द कर दिया गया है।
ओम प्रकाश को झटका देने की शुरुआत तभी हो गई थी, जब पदभार संभालते ही उत्पल कुमार सिंह को पहले से तैयार की गई ट्रांसफर लिस्ट हस्ताक्षर करने के लिए पकड़ा दी गई थी। तब लिहाज करते हुए उत्पल कुमार सिंह ने इस पर हस्ताक्षर कर दिए थे। सूत्र बताते हैं कि मुख्य सचिव का पद संभालते ही उन्हें ट्रांसफर लिस्ट पर हस्ताक्षर करते हुए अटपटा तो लगा था लेकिन आते ही हस्ताक्षर करने से ना नुकुर करना भी उन्हें अच्छा नहीं लगा। किंतु तभी उन्होंने तय कर दिया था कि वह रबर स्टांप की तरह काम नहीं करेंगे।
इससे पहले भी इतिहास रहा है कि आर एस टोलिया, एस के दास, इंदु कुमार पांडे, आलोक कुमार जैन से लेकर एन एस नपलच्याल, सुभाष कुमार और नागराजन जैसे मुख्य सचिवों को भी काम नहीं करने दिया क्या। किंतु उत्पल कुमार सिंह इस परिपाटी को बदलना चाहते हैं।
अब तक यह माना जा रहा था कि उत्पल कुमार सिंह सिर्फ मुखौटा या रबड़ स्टांप रहेंगे और ओम प्रकाश सरकार चलाएंगे! किंतु लगता है अब यह कोल्ड वार सतह पर दिखने वाला है।
स्वास्थ्य विभाग में अंदर तक महत्वपूर्ण स्थानों पर घर कर चुके भ्रष्ट अफसरों पर अब किस तरह नकेल लगाई जाएगी, यह भी देखने वाली बात है। साथ ही सचिवालय में शक्ति संतुलन का कोल्ड वार आगे क्या रूप लेता है इस पर सभी की निगाह रहेगी!