इंटरनेशनल डे अर्थात् नॉन बैलेंस के रूप में मनाया
बच्चों की संस्था पीसगोंग ने एक दिन नहीं किया इंटरनेट का प्रयोग
अगर आप भी सूचना क्रांति के बीच इंटरनेट उपभोग करने के आदी बन चुके हो तो आपके लिए पीसपोंग संस्था का आइडिया रामबाण साबित हो सकता है। इसके लिए आपको अपनी सुविधा के हिसाब से महीने या हर सप्ताह एक दिन इंटरनेट का व्रत लेना है, यानि की आपको इंटरनेट कनेक्टिविटी से दूर रहना है। इसके जो आपको मिलेंगे, वाकई वह आपके साथ ही आपके परिवार में भी रौनक ला सकता है।
यह कटु सत्य है, लेकिन हम एक ऐसे दुनिया में रहते हैं, जहां पर हर व्यक्ति इंटरनेट के विभिन्न साधनों के जेल में बन्द है। हम सबको इंटरनेट के नशे ने ऐसा जकड़े हुआ है कि कोई भी व्यक्ति इसकी जकड़ से निकलना चाहे, फिर भी नहीं निकल सकता। चाहे हम अपने घर पर हों, बस में हों, ट्रेन में हों, ऑफिस में हों, सभी जगह इंटरनेट चलाने में व्यस्त रहते हैं। आजकल हालात ऐसे हो गए हैं कि बच्चे से लेकर युवा वर्ग इंटरनेट के बिना अपनी जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकते।
हम औरों से मीलों दूर बैठे लोगों के तो करीब आते जा रहे हैं, पर जो हमारे पास है उनसे हम दूर होते जा रहे हैं। हम इतना ज्यादा व्यस्त हो चुके हैं कि इंटरनेट के साथ हम अपनी अन्तरात्मा की आवाज भी नहीं सुनना चाहते। 2 अक्टूबर उन कैलेण्डर में इंटरनेशनल डे अर्थात् नॉन बैलेंस के रूप में मनाया जाता है। गांधी जयंती के दिन उन्होंने अपनी कई लेखों में अंतर्रात्मा की आवाज को सुनने का संदेश दिया है तो दोस्तों आइये आप भी कुछ समय के लिए ही सही पर साइबर फास्ट अवश्य मनाइए। यह बेशक एक चुनौती जैसी अवश्य लग रही हो, लेकिन अगर जब इसको ठान लिया जाए तो इतना असंभव भी नहीं है।
दरअसल आज सभी लोगों की आदत में शुमार हो चुका है कि ऑफिस से घर आने के बाद भी लोग मोबाइल में ही डूबे होते हैं। ऐसे में परिवार के साथ ही बच्चों पर भी इसका भारी दुष्प्रभाव पड़ रहा है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए साइबर फास्ट का विचार सामने आया।
बच्चों की संस्था पीसगोंग सुबह 6 बजे से लेकर शाम के 6 बजे तक इंटरनेट का प्रयोग न करें और बच्चों और जरूरतमंदों के साथ समय व्यतीत करें। ये राष्ट्रपति महात्मा गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। अपने दोस्तों और जानने वालों को जरूर ज्वॉइन कराइए। पीस गोंग के द्वारा किया गया कम्पेन का असर पूरे भारत में देखा गया, जिसका नेतृत्व नेशनल एडिटर नुपुर सोनी ने किया। नुपुर झाँसी उत्तर प्रदेश की ११वीं कक्षा की छात्रा है। पीस गोंग के पूरे भारत में अलग-अलग ब्यूरो हैं। पीस गोंग के फाउंडर पीके थॉमस कहते हैं कि इन्टरनेट हमारी जिन्दगी का एक हिस्सा बन चुका है। साइबर फास्टिंग करना एक चुनौती होगी, लेकिन नामुमकिन नहीं है। नुपुर सोनी कहती हैं कि साइबर फास्टिंग हम हर महीने कर सकते हैं। इन्टरनेट का ज्यादा उपयोग हमारे रिश्तों पर ज्यादा असर डाल रहा है। पीस गोंग एक संस्था है, जिसमें बच्चे ही काम करते हैं। जम्मू कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और कटक से लेकर पूरे भारत में पीस गोंग के ब्यूरो है। उम्मीद है साइबर फास्टिंग के छोटे से प्रयास से सभी की जिंदगी में बिना फोन वाली पहले जैसी रौनक एक बार फिर से लौट सकती है।