समाज कल्याण के आईटी सेल के नाम पर एक लाख रुपए के फर्नीचर घोटाले को लेकर कांति राम जोशी के खिलाफ शासन ने जांच के आदेश दिए। पुराने घोटालों और जांच रिपोर्टों की भी खुल सकती है फाइलें
पर्वतजन ब्यूरो
समाज कल्याण विभाग में आईटी सेल के तत्कालीन नोडल अधिकारी कांतिराम जोशी ने ३१ मार्च को बजट ठिकाने लगाने के लिए फर्नीचर की खरीद के नाम पर देहरादून की एक फर्म को ९८ हजार ९२८ रुपए का भुगतान तो कर दिया, किंतु फर्नीचर नहीं मंगाया। कांतिराम जोशी के स्थानांतरण के बाद दूसरे नोडल अधिकारी अनुराग शंखधर ने विभाग का चार्ज लिया तो यह राज खुला। अनुराग शंखधर ने इसकी जांच कराई तो पाया कि फर्नीचर की एंट्री न तो बिल में है और न ही स्टोर में।
अनुराग शंखधर ने अपने उच्चाधिकारियों को सूचित किया और विधिक राय आदि लेने के बाद सचिव वित्त को इसकी सूचना दे दी। सचिव वित्त अमित सिंह नेगी ने इस मामले में गबन की आशंका को देखते हुए अपर सचिव समाज कल्याण को जांच के लिए आदेश दिए हैं। शासन को भेजी अपनी रिपोर्ट में नोडल अधिकारी ने यह भी लिखा है कि कांतिराम अपने साथ किराये पर ली गई गाड़ी की लॉगबुक और कंप्यूटर की हार्ड डिस्क भी ले गए हैं। शासन के संज्ञान में आने के बाद कांतिराम जोशी की मुश्किलें बढऩा तय हैं।
अनुराग शंखधर ने इस प्रकरण में कांतिराम जोशी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी है। अपने स्तर पर जांच कराने के चलते अनुमति दिए जाने का यह प्रकरण अभी शासन में विचाराधीन है।
आईटी सेल के अंतर्गत यह प्राविधान है कि नोडल अधिकारी को सिर्फ १० हजार रुपए तक की खरीद करने का अधिकार है, किंतु कांतिराम जोशी ने बिना समाज कल्याण सचिव की अनुमति के काफी खरीददारी की है।
सचिव के घर में ६२ हजार
अनुराग शंखधर ने सचिव समाज कल्याण के कैंप ऑफिस में कंप्यूटर से संबंधित कार्य के नाम पर देहरादून की एक फर्म को २६८५० रुपए तथा २१०५० रुपए सहित कुल ६२ हजार रुपए के भुगतान किए हैं। यह भुगतान समाज कल्याण सचिव की बिना अनुमति के और बिना आदेश के किए गए हैं।
सवाल यह है कि जब सचिव के कैंप ऑफिस के नाम पर होने वाला कोई भी खर्च सचिवालय प्रशासन द्वारा वहन किया जाता है तो कांतिराम जोशी ने यह अवैध भुगतान क्यों किया?
कार्मिकों के नाम से निकाला धन
इसके अलावा एक आश्चर्यजनक कारनामा और भी प्रकाश में आया है। कांतिराम जोशी ने अपने कर्मचारियों के नाम पर पहले उन्हें व्यक्तिगत अग्रिम धनराशि स्वीकृत की और उसके बाद उनसे यह पैसा लेकर खुद ही रख लिया। आईटी सेल के कार्मिक मुकेश भट्ट और दिंगबर ने यह शिकायत अपने उच्चाधिकारियों से की है। इन कार्मिकों का कहना है कि कांतिराम जोशी ने उनके नाम पर भुगतान लेकर खुद ही रख लिया। तथा इस धनराशि को वापस भी नहीं किया।
पहले से धूमिल है जोशी की ‘कांतिÓ
कांतिराम जोशी ने वर्ष २००३-०४ में देहरादून में जिला समाज कल्याण अधिकारी के पद पर रहते हुए स्पेशल कंपोनेंट प्लान की २८ दुकानों को भ्रष्टाचार करके अपात्र लोगों को आवंटित कर दिया था। इस प्रकरण में शासन ने उनकी सत्यनिष्ठा संदिग्ध करार दी थी।
वर्ष २००७ में चमोली में जिला समाज कल्याण अधिकारी के पद पर रहते हुए जोशीमठ के आश्रम पद्धति विद्यालय के सामान में खरीद की अनियमितता और बिना अनुमति के आश्रम का सामान नीलाम करने सहित जिला सहकारी संघ से घटिया सामान ऊंची दरों पर खरीदने को लेकर एलआईयू ने अपनी जांच रिपोर्ट में जोशी को दोषी पाया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूड़ी और फिर समाज कल्याण मंत्री सुरेंद्र राकेश ने भी जोशी के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए समाज कल्याण सचिव को निर्देश दिए थे। हालांकि यह प्रकरण अभी तक शासन की फाइलों में दबा हुआ है।
वर्ष २०१० से २०१३ तक टिहरी जनपद में जिला समाज कल्याण अधिकारी रहते हुए कल्याणकारी योजनाओं के शिविरों के आयोजन के लिए धनराशि उपलब्ध कराई गई थी। शिविरों में साढ़े 6 लाख की धनराशि खर्च दिखाई गई, किंतु कोई भी शिविर हकीकत में कहीं भी नहीं लगा। संयुक्त निदेशक की जांच में जोशी को दोषी पाया गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री ने जोशी के खिलाफ विधिक कार्यवाही के निर्देश दिए थे, किंतु अभी तक यह कार्यवाही लंबित है। टिहरी के सीडीओ को इस प्रकरण में जांच अधिकारी बनाया गया है।
वर्ष २०१४-१५ में रुद्रप्रयाग में समाज कल्याण अधिकारी के पद पर रहते हुए कांतिराम जोशी के विरुद्ध विभागीय योजनाओं में लापरवाही बरतने पर तत्कालीन जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग ने प्रतिकूल प्रविष्टि दी थी।
हाल ही में आईटी सेल का प्रभारी रहते हुए कांतिराम जोशी ने घोटालों के अलावा कुछ नहीं किया। इसके कारण आईटी सेल का छात्रवृत्ति/पेंशन का सॉफ्टवेयर नहीं चल पाया। इस कारण छात्रवृत्ति मद में ८५ करोड़ तथा पेंशन मद में २८ करोड़ की धनराशि ३१ मार्च २०१७ को लैप्स हो गई, किंतु कांतिराम अभी तक उच्चाधिकारियों को अनाप-शनाप खर्चों से उपकृत करके अभयदान पाए हुए थे।
वित्त सचिव द्वारा जांच के आदेश दिए जाने पर कांतिराम की मुश्किलें बढऩी तय मानी जा रही है।