बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ सरीखे अभियानों के बीच समाज कल्याण विभाग में कन्याधन योजनाओं में बजट की कमी आड़े आ रही है। कुछ नया करने के नाम पर सरकार ने नंदा देवी तथा गौरा देवी कन्या धन योजना का विलय तो कर दिया, किंतु कन्याओं को आर्थिक मदद के नाम पर अभी भी असफल है सरकार
चंद्रवीर गायत्री
अगर आप गौरा देवी योजना का लाभ पाना चाह रहे हैं तो उसके लिए आपको कई तरह के पापड़ बेलने पड़ सकते हैं। प्रदेश में ऐसे बहुत कम भाग्यशाली छात्राएं होंगी, जिन्हें गौरा देवी के नाम से संचालित योजना का लाभ मिलता होगा। पटवारियों की बेरुखी व सरकारी मानकों के चलते अधिकांश छात्राएं तो इस योजना के लिए आवेदन तक भी नहीं कर पाती हैं।
उदाहरण के लिए ग्राम जसपुर, पट्टी मल्ला ढांगू, विकासखंड द्वारीखाल पौड़ी गढ़वाल का यह मामला पर्याप्त है। इस गांव के जगत राम की पुत्री ज्योति ने इसी वर्ष १२वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की है। वह सभी दस्तावेज तैयार कर चुके हैं, लेकिन पटवारी उनका 1300 रुपए मासिक या 15600 रुपए का वार्षिक आय प्रमाण पत्र बनाने से साफ इंकार कर रहे हंै। यदि उनका आय प्रमाण पत्र नहीं बन पाता है तो ज्योति को गौरा देवी कन्या धन योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा। जगत राम मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं। उनकी चार पुत्रियां हैं। पशुधन या नकदी फसल जैसे आय के कोई अन्य संसाधन भी उनके पास उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में पटवारी द्वारा उनके आय प्रमाण बनाने से इंकार करना सरकारी दावों की पोल खोलने के लिए काफी है।
उत्तराखंड में अभी भी वर्षों पूर्व निर्धारित आय के अनुसार ही आय प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं। जिसके अनुसार उत्तराखंड में गरीबी रेखा के परिवार की वार्षिक आय ग्रामीण क्षेत्र में रु. 15976 व शहरी क्षेत्र में 21206 वार्षिक है। इतनी कम आय के प्रमाण पत्र राजस्व विभाग जारी नहीं कर रहा है।
आय प्रमाण पत्र न मिलने के कारण अनुसूचित जाति, जनजाति की स्वरोजगार योजनाएं व गौरा देवी व नंदा देवी कन्या धन योजना प्रभावित हो रही है। यहां तक कि लक्ष्य पूर्ति नहीं हो पा रही है।
आय प्रमाण पत्र बनवाने के लिए पटवारी चौकी के कई चक्कर काट चुके जगत राम कहते हैं कि योजना को लेकर सरकार की ओर से बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं, लेकिन सरकारी मानक इतने कठिन हैं कि उन्हें पूरा कर पाना बेहद मुश्किल हो रहा है। ऐसे में बेटियों की सुरक्षा को लेकर किए जाने वाले तमाम सरकारी दावे महज खोखले ही प्रतीत होते हैं। जगतराम सवाल उठाते हुए कहते हैं कि जब उन जैसे गरीब लोगों का आय प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है तो फिर सरकार ने यह योजना किन लोगों के लिए बनाई है!
इस संबंध में विधानसभा सत्र के दौरान सत्तारूढ़ पार्टी के सल्ट से विधायक सुरेंद्र सिंह जीना ने अपने तारांकित प्रश्न में समाज कल्याण मंत्री से पूछा कि गरीब छात्राओं के परिवार की आय हेतु जो मानक निर्धारित किए गए हैं, वह बहुत कम हैं। इस कारण इसका लाभ अधिकांश गरीब छात्राओं को नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में सरकार की इसके लिए क्या योजना है? इस पर समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य ने बताया कि पारिवारिक वार्षिक आय सीमा के संबंध में सरकार पुनर्विचार कर रही है।
बजट की कमी आती है आड़े
प्रतिवर्ष ऐसी असंख्य छात्राएं होती हैं, जो आवेदन जमा करने के बाद से इंतजार करते-करते भूल जाती हैं कि उन्होंने भी गौरा देवी के लिए आवेदन किया था। दरअसल ऐसा इसलिए होता है कि समाज कल्याण विभाग की नीति के अनुसार यह धनराशि पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर दी जाती है। यह अलग बात है कि रसूखदारों व सफेदपोशों की सिफारिश पर जब-तब विभाग अपने निर्धारित फार्मूले से फिसल जाता है।
वित्तीय वर्ष 2016-17 के आंकड़ों पर गौर फरमाते हैं तो पता चलता है कि कुल आवेदनों का 50 प्रतिशत छात्राओं को भी योजना का लाभ नहीं मिल पाता है। संबंधित समाज कल्याण अधिकारियों से पूछने पर जवाब मिलता है कि बजट खत्म हो गया है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि भले ही दिए जाने वाले धन की राशि 50 हजार से घटाकर 25 हजार कर दे, किंतु इस योजना के लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था कर सभी पात्र अभ्यर्थियों को योजना का लाभ देने का प्रयास करे।
नंदा देवी व गौरा देवी कन्या धन योजना का विलय
प्रदेश में इन दोनों योजनाओं को मिलाकर इनका एकीकरण कर दिया गया। इसके लिए बाकायदा मंत्रिमंडल भी अपनी मुहर लगा चुका है।
नंदा देवी और गौरा देवी कन्या धन योजना के विलय कर दिए जाने के बाद अब बच्ची के जन्म लेने के बाद से उसकी शादी होने तक कुल सात किश्तों में 51 हजार रुपए दिए जाएंगे। अभी तक नंदा देवी योजना के अंतर्गत बच्ची के जन्म लेने के बाद पांच हजार, जबकि 10 हजार एक वर्ष के बाद दिए जाते थे, जबकि इंटर पास करने के बाद छात्राओं को 50 हजार की एफडी दिए जाने का प्रावधान था। हालांकि यह अलग बात है कि अधिकांश छात्राओं को इतनी कम आय के प्रमाण पत्र न मिलने के कारण वे गौरा देवी कन्या धन योजना के लिए अप्लाई ही नहीं कर पाती हैं।
नई योजना के अनुसार बच्ची के जन्म लेने पर पहली किस्त पांच हजार, आठवीं पास करने पर पांच हजार की दूसरी किस्त, 10वीं पास करने पर पांच हजार की तीसरी किस्त, इंटर पास करने पर पांच हजार की चौथी किश्त, ग्रेजुएशन के बाद पांच हजार की पांचवीं किश्त, पोस्ट ग्रेजुएशन करने पर छठी किश्त के रूप में 10 हजार रुपए दिए जाएंगे। इसके अलावा शादी के समय 16 हजार रुपए की अंतिम किश्त दी जाएगी। यह सभी धनराशि ई-पेमेंट के माध्यम से दी जाएगी।
इसके अलावा अब ग्रामीण क्षेत्र के पात्र परिवारों की वार्षिक आय 36 हजार, जबकि शहरी क्षेत्र में 42 हजार रुपए वार्षिक होनी चाहिए।
अगर आय के ये नए पैमाने धरातल पर उतरने लगे तो पात्र लोगों को आय प्रमाण पत्र बनवाने में राहत मिलने की उम्मीद है और अधिकाधिक छात्राएं इन योजनाओं का लाभ ले सकेंगी।