डबल इंजन की सरकार में भ्रष्टाचार के खिलाफ धर्मयुद्ध की बात कहने वाले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के ताजा बयान के बाद उत्तराखंड की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है।
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एनएच -74 घोटाले की जांच को कांग्रेसियों की गर्दन तक पहुंचने का बयान क्या दिया, कांग्रेस से सरकार पर हमले तेज हो गए।
2017 के चुनाव में कांग्रेस को दिए गए चुनावी चंदे को एनएच-74 घोटाले से जोड़ने वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार अभी 25 करोड़ रुपए के चंदे की डिटेल देने से डर रही है। उसे डर है कि यदि 25 करोड़ देने वालों के नाम खोल दिए तो बदनामी हो सकती है।
इस बीच कांग्रेस विधान मंडल दल के उपनेता करन महरा ने डबल इंजन सरकार की एसआईटी जांच पर सवाल खड़े किए हैं कि जांच की बड़ी-बड़ी बात करने वाली एसआईटी आखिरकार तत्कालीन जिला अधिकारियों से क्यों पूछताछ नहीं कर रही?
करन महरा का इशारा ऊधमसिंहनगर के उन पूर्व जिला अधिकारियों की ओर है, जिन्हें त्रिवेंद्र सरकार ने महत्वपूर्ण पदों पर बिठा रखा है। यह वही जिलाधिकारी हैं, जिनके पास उस दौरान एनएच 74 की मुआवजे से संबंधित मामले आर्बिट्रेशन के लिए आए हुए थे।
एक ओर एनएच- 74 घोटाले की केंद्र सरकार द्वारा मामले की सीबीआई जांच की मांग को नकार दिया गया, वहीं दूसरी ओर इस मसले को विपक्ष अब सदन की अवमानना से भी जोड़ने लगा है।
भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टोलरेंस और धर्मयुद्ध जैसी बातें करने वाले डबल इंजन के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को आगामी बजट सत्र मेें न सिर्फ इस घोटाले पर जवाब देना है, बल्कि यह भी स्पष्ट करना होगा कि तत्कालीन जिला अधिकारियों और तत्कालीन मंत्री के होते हुए आखिरकार १००० करोड़ रुपए का यह घोटाला अंजाम तक कैसे पहुंच गया !
कुल मिलाकर कांग्रेस द्वारा अब इस मुद्दे पर मुखर होने के बाद डबल इंजन सरकार जरूर कटघरे में आ गई है।