IAS अफसरों के चेहरों पर अभी से लोकायुक्त बिल का खौफ साफ दिखने लगा है। पिछली सरकारों में मलाईदार विभाग हथियाने के लिए मंत्रियों के कहने पर घपले-घोटाले करने के आदी हो चुके अफसरों में हड़कंप है।
अफसर राजमार्ग घोटाले में गडकरी के पत्र को भी नजीर के तौर पर पेश कर रहे हैं। उनका तर्क है कि यदि आईएएस अफसरों को भी लोकायुक्त के दायरे में लाया गया तो उनका मनोबल गिरेगा। कुछ उत्साही अफसर तो यहां तक धमकी दे चुके हैं कि यदि लोकायुक्त के दायरे से आईएएस को बाहर नहीं किया गया तो सरकार में किसी मामले में स्टैंड नहीं लेंगे और मंत्री मुख्यमंत्री के मौखिक निर्देश पर कोई काम नहीं करेंगे।
एक वरिष्ठ नौकरशाह कहते हैं कि इससे अफसर फाइलो पर कुछ भी आदेश करने में बचने लगेंगे और फिर विकास की गति इतनी धीमी हो जाएगी कि सरकार को अलोकप्रिय होते देर नहीं लगेगी।
जबसे गडकरी ने भ्रष्ट अफसरों भ्रष्टाचार में लिप्त अफसरों के मनोबल की चिंता करनी क्या शुरू की है उत्तराखंड के अधिकारियों का मनोबल रातोंरात मानो आसमान पर पहुंच गया है। आईएएस अधिकारी उत्तराखंड के चर्चित लोकायुक्त बिल में भी अपने मनोबल की रक्षा करने के लिए प्रकाश पंत के पास जा पहुंचे। कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत विधानसभा की उस प्रवर समिति के अध्यक्ष हैं जो इन दिनों लोकायुक्त बिल की समीक्षा कर रही है कुछ दिनों पूर्व ही उत्तराखंड की आईएएस यूनियन के अध्यक्ष सचिव व अन्य मेंबर्स इस विषय पर चर्चा तथा दबाव बनाने की रणनीति के तहत विधानसभा में प्रकाश पंत से मिलने पहुंचे। जहां गडकरी से प्राप्त मनोबल के प्रताप से इन्होंने प्रकाश पंत से ऊंची आवाज में बात करने में भी संकोच नहीं किया । इस मुलाकात से पहले बाकायदा एसोसिएशन के सदस्यों ने मीटिंग कर रणनीति तैयार की और प्रकाश पंत के माध्यम से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र और ओमप्रकाश के माध्यम से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत पर भी दबाव बनाए जाने की रणनीति तय की। जीरो टॉलरेंस की बात करने वाले मुख्यमंत्री तमाम प्रकरण पर क्या रुख अपनाते हैं यह देखने वाली होगी ।