दिल्ली की प्रेस क्लब के बाहर की मुख्य सड़क पर एक लम्बा चौड़ा हट्टा कट्टा आदमी तेजी से भाग रहा था और एक नौजवान अपने एक हाथ में माइक पकड़कर भागते हुए उस आदमी का पीछा कर रहा था। थोड़ी देर बाद आगे आगे भाग रहा वह व्यक्ति सड़क पर चल रहे एक ऑटो रिक्शा में कूदकर बैठा और रफूचक्कर हो गया।
प्रथम दृष्टया यह नज़ारा देखकर ऐसा प्रतीत हुआ मानो कोई जेबकतरा जेब काट कर भाग रहा है और कोई पुलिस वाला उसका पीछा कर रहा है। लेकिन ऐसा नहीं था। इसके बजाय पूरा मामला कुछ और ही था।
सड़क पर भाग रहा वो लम्बा चौड़ा हट्टा कट्टा मुश्टण्डा व्यक्ति कोई सामान्य आदमी नहीं था। पिछले लगभग 4 सालों से अलंकार सवाई नाम का वह व्यक्ति कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ साये की तरह रहता है। राहुल गांधी के सोशल मीडिया एकाउंट (ट्विटर) वही सम्भालता संचालित करता है। उसके पीछे भाग रहा नौजवान रिपब्लिक चैनल का रिपोर्टर था जो अलंकार सवाई से एक ऐसा सवाल पूछ रहा था जिससे घबराकर अलंकार सवाई प्रेसक्लब में अपनी आलीशान कार छोड़कर वहां से बुरी तरह भाग खड़ा हुआ।
दरअसल महाराष्ट्र में जातीय दंगों की आग भड़काकर दिल्ली पहुंचा जिग्नेश मेवानी आज दिल्ली के प्रेसक्लब ऑफ इंडिया में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा था।
उसकी प्रेस कॉन्फ्रेंस की पूरी जिम्मेदारी और व्यवस्था कोई और नहीं बल्कि राहुल गांधी का दाहिना हाथ माना जानेवाला अलंकार सवाई सम्भाल रहा था।
रिपब्लिक चैनल के रिपोर्टरों की टीम ने उसको पहचान लिया और उसपर सवालों की बौछार कर दी कि क्या ये प्रेस कॉन्फ्रेंस राहुल गांधी द्वारा प्रायोजित/आयोजित है.? यदि नहीं तो वो यहां सारी व्यवस्था स्वयं क्यों सम्भाल रहा है.?
यह सवाल सुनते ही अलंकार सवाई पहले तो प्रेसक्लब के गलियारों में छुपकर सवाल से बचने की कोशिश करता रहा। लेकिन रिपोर्टर ने जब पीछा नहीं छोड़ा तो वो प्रेस क्लब से निकल भागा। रिपोर्टर वहां भी उसके पीछे हो लिया तो अलंकार सवाई रिपोर्टर से बचने के लिए सड़क पर तेजी से भागने लगा। और एक चलते हुए ऑटो में किसी नट की तरह उछलते हुए बैठकर भाग निकला।
यह सब देखकर मुझे याद आ गयी मार्क टुली और कुलदीप नैयर द्वारा अपनी अपनी किताबों में लिखा गया वो प्रसंग कि कुख्यात आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले द्वारा अपने उग्रवादी दल की स्थापना के बाद चंडीगढ़ के पंचतारा होटल में की गई पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस के बिल का भुगतान तत्कालीन कांग्रेसी सरकार के गृहमंत्री ज्ञानी जैल सिंह ने किया था। जरनैल सिंह भिंडरावाले ने पंजाब और देश को धर्मोन्माद की आग में झोंका था। जिग्नेश मेवानी जातीय उन्माद की हिंसक आग में झोंक रहा है। इस काम में दोनों की मददगार कांग्रेस ही बनी है। जिग्नेश मेवानी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहचान लिए जाने के बाद वहां से चोरों की तरह भागा अलंकार सवाई सबूत है।