टिहरी जिले में नमामि गंगे योजना का लाखों रुपया प्रभावशाली लोगों ने बिना काम किए अपने खातों में जमा करा लिए
पर्वतजन ब्यूरो
भारत के प्रधानमंत्री नमामि गंगे योजना के प्रति खासे समर्पित हैं, किंतु इस योजना का पैसा धरातल पर न उतरकर कागजों में ही घोटालेबाजों की जेबों में जा रहा है। पिछले दिनों पर्वतजन ने नमामि गंगे योजना के क्रियान्वयन के परीक्षण के तौर पर टिहरी जिले के एक गांव को लिया। तहकीकात के दौरान पता चला कि इस योजना के अंतर्गत गांव में आया ९५ प्रतिशत पैसा प्रभावशाली लोगों ने बिना काम के ही अपने परिजनों के खातों में डलवा दिया।
टिहरी जिले के प्रतापनगर ब्लॉक स्थित सांदणा गांव में नमामि गंगे योजना के तहत ग्रामीणों की भागीदारी से वृक्षारोपण का कार्य किया जाना था। इसके अंतर्गत ग्रामीणों को पेड़ लगाने के लिए गड्ढे खोदने थे तथा तारबाड़ आदि करनी थी, किंतु सांदणा गांव के पूर्व प्रधान बलवंत रावत, पूर्व प्रधान दिलीप सिंह खरोला, भोपाल दत्त, महिपाल सिंह सहित चंद प्रभावशाली लोगों ने इस काम के लिए आया हुआ लाखों रुपया अपने और अपने परिवार के खातों में डला दिया।
प्रभावशालियों ने हड़पा पैसा
पूर्व प्रधान बलवंत सिंह के भतीजे भोपाल सिंह, समा देवी, सरोजिनी देवी, खुशबू रावत, रघुवीर सिंह आदि के खातों में बिना काम के ही लाखों रुपए का भुगतान कर दिया गया। रघुवीर सिंह पूर्व प्रधान बलवंत सिंह रावत के चाचा का लड़का है। टेलर मास्टर रघुवीर सिंह की लड़की खुशबू रावत मात्र ८ साल की है और तीसरी कक्षा में पढ़ती है। इसके खाते में २०१५२ रुपए डाले गए हैं। रघुवीर सिंह पत्नी सरोजिनी देवी के खातों में भी बिना काम के भुगतान किया गया है। इनके भाईबंद महिपाल सिंह, अंकित सिंह आदि के खातों में भी भारी-भरकम रकम जमा की गई है।
पूर्व प्रधान दिलीप सिंह खरोला की मां प्रेमा देवी, घरवाली सरोजिनी देवी और पुत्र रोहित खरोला और सचिन खरोला के खातों में भी लाखों रुपए का भुगतान किया गया है। दिलीप सिंह खरोला खुद दुकानदार है, किंतु इसके खाते में ३०७९५ रुपए डाले गए हैं। रोहित खरोला श्रीनगर में पॉलीटेक्निक कर रहा है। रोहित के खाते में १९ हजार रुपए डलाए गए हैं। पूर्व प्रधान की ९५ वर्षीय मां प्रेमा देवी के खाते में १५ हजार रुपए डलाए गए हैं। किरन खरोला १२वीं में पढ़ती है, किंतु उसके खाते में २५ हजार रुपए भुगतान किया गया है।
घपलेबाजों की योजना यह थी कि बिना काम के खातों में पैसे ट्रांसफर करके बाद में इस रकम का फिफ्टी-फिफ्टी कर लिया जाए। मामला तब बिगड़ा, जब कुछ चालाक लोगों ने एकाउंट में पैसा जमा हो जाने के बाद कमीशन देने से मना कर दिया।
सुषमा देवी पत्नी दलवीर सिंह का खाता तो नई टिहरी के यूनियन बैंक में है, किंतु उसे भी १७८६२ रुपए भुगतान कर दिए गए। यही नहीं वृक्षारोपण की यह योजना मात्र सांदणा गांव के लिए स्वीकृत की गई थी, किंतु इसका पैसा कठुली, जलवाल गांव, खोला के प्रभावशाली लोगों के खातों में डाल दिया गया।
जलवाल गांव के भोपाल दत्त उपनल में कर्मचारी हैं, किंतु इन्होंने अपने खाते में २६ हजार रुपए बिना काम के ही डलवा लिए। भोपाल दत्त का १४ वर्षीय लड़का विपिन जोशी हाईस्कूल में है, किंतु उसके खाते में भी २८५९१ रुपए डाले गए हैं। भोपाल दत्त की एक लड़की १४ साल की है और हाईस्कूल में पढ़ती है, किंतु इसके खाते में भी २५ हजार रुपए जमा किए गए हैं। दूसरी लड़की आईटीआई में है और उनकी पत्नी स्कूल में भोजनमाता है, किंतु उनके खातों में भी २०-२० हजार रुपए बिना काम के ही डाल दिए गए। कठुली गांव के रमेश लाल पेशे से नाई हैं, किंतु इन्होंने भी ३० हजार रुपए अपने खाते में अंदर कर लिए। साथ ही अपनी पत्नी विक्रमा देवी के खाते में भी २५६४८ रुपए जमा करा दिए। इस योजना के अंतर्गत आया हुआ पैसा पहले तो वन विभाग रोककर बैठा रहा, किंतु ३० मार्च २०१७ को एक साथ इनके खातों में ट्रांसफर कर दिया गया।
जाहिर है कि इस घपले में वन विभाग के उच्चाधिकारियों से लेकर फॉरेस्ट गार्ड और ग्राम प्रधान तक शामिल हैं। यह खुलासा तो मात्र टिहरी जिले के एक छोटे से गांव का है। यदि नमामि गंगे योजना के तहत सभी गांवों में कराए गए सभी कार्यों की जांच की जाए तो करोड़ों रुपए का घोटाला सामने आ सकता है।