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परेशान पब्लिक बेपरवाह परिवहन

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परिवहन अधिकारियों की मनमानियों की शिकायतें शासन की फाइलों में दम तोड़ देती है। शासन की सुस्ती पीडि़तों की शिकायतों पर पड़ रही है भारी

पर्वतजन ब्यूरो

परिवहन विभाग में कार्यरत कई अधिकारियों के भ्रष्टाचार की शिकायतें लोग शासन इस आस में करते रहते हैं कि उन्हें न्याय मिलेगा, किंतु न भ्रष्टाचार पर अंकुश लगता है और न ही अधिकारियों की मनमानियां रुकने का नाम ले रही हैं।
फरवरी २०१६ में नैनीताल के अनिल स्वामी नाम के व्यक्ति ने एआरटीओ बागेश्वर दिनेशचन्द्र पांडे के विरुद्ध राज्यपाल से शिकायत की थी। इसमें अनिल स्वामी ने बागेश्वर के एआरटीओ पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए जांच और कार्यवाही की मांग की थी। इसमें उन्होंने विभाग को ४० लाख रुपए का नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया था, किंतु यह शिकायत भी आगे नहीं बढ़ पाई।
ऋषिकेश के विनोद राठौर नाम के व्यक्ति ने मुख्यमंत्री से शिकायत की थी कि उक्त अधिकारी ने तीन साल से उनकी बसें खड़ी करा रखी हैं और कई बार की वार्ता के बाद भी उनकी समस्या का समाधान नहीं कर रहे हैं, किंतु यह मामला भी शासन की लिखा-पढ़ी में गुम होकर रह गया।
राजपुर रोड देहरादून निवासी गोपाल भट्ट ने परिवहन आयुक्त को वाहनों के व्यावसायिक लाइसेंस नवीनीकरण के मामले में हुए एक घोटाले की शिकायत की थी, किंतु इस मामले में भी कुछ नहीं हुआ।
हल्द्वानी के विजय सिंह रावत ने राज्यपाल को इसी साल अप्रैल में एक चिट्ठी लिखी कि उन्होंने परिवहन विभाग से संबंधित कई शिकायतें समय-समय पर भेजी, किंतु उन पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। विजय रावत ने क्षेत्र के कुमाऊं मोटर यूनियन के अंतर्गत परमिटों की धांधली की शिकायत की थी, किंतु उस पर भी शासन स्तर से कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
विजय रावत ने कुमाऊं के बंद पड़े पर्वतीय मार्गों से वाहन चलाए जाने की मांग भी शासन से की थी और कहा था कि नैनीताल के लगभग ३१ मार्गों पर केएमयू संस्था ने अपनी संस्थाएं कुछ वर्षों से बंद कर रखी हैं, किंतु इस शिकायत का भी निस्तारण नहीं हो पाया। पर्वतीय मार्गों पर परमिट शर्तों का उल्लंघन कर वाहनों के रात्रि संचालन से होने वाली दुर्घटनाओं की शिकायत भी श्री रावत ने शासन में की थी, किंतु इन पर भी कोई कार्यवाही नहीं हो पाई।
परिवहन विभाग के अनुसचिव ने राज्यपाल कार्यालय से प्राप्त शिकायतों को कार्यवाही के लिए कई बार परिवहन विभाग ने अग्रसारित किया है, किंतु पीडि़तों को न्याय नहीं मिल पाया।
कुछ लोगों ने शासन में शिकायत की थी कि सरकारी बसों के बस अड्डे के बाहर ही प्राइवेट बसें व टैक्सियां सवारियां भरती हैं, जबकि एक किमी. के दायरे में कोई दूसरा वाहन सवारी नहीं भर सकता। इस शिकायत पर भी कोई गौर नहीं किया गया। हल्द्वानी के विजय रावत ने इस संबंध में उत्तर प्रदेश टैक्सी यूनियन द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट से पारित एक आदेश का हवाला भी दिया, जिसमें परिवहन निगम के बस स्टैंड से एक किमी. दूर ही प्राइवेट स्टैंड बनाए जाने के निर्देश दिए गए थे।
कुमाऊं के अपर आयुक्त राजीव शाह ने भी कुमाऊं संभाग के संभागीय परिवहन अधिकारी को हाईकोर्ट के आदेशों का अनुपालन करने के आदेश दिए थे। फिर भी स्थिति जस की तस है। इन शिकायतों के अलावा कई शिकायतें ऐसी हैं, जिसमें प्राइवेट बस संचालकों द्वारा परिवहन विभाग को चूना लगाए जाने के प्रति आगाह किया गया है, किंतु अधिकांश शिकायतें बिना कार्यवाही के ही खत्म हो जाती हैं।
एक शिकायत में परिवहन विभाग को बताया गया है कि हल्द्वानी से पिथौरागढ़, नैनीताल, अल्मोड़ा आदि के मध्य लगभग ३१ मार्गों पर कुमाऊं मोटर्स यूनियन की बसें विगत कई वर्षों से सेवाएं नहीं दे रही हैं। इससे यात्रियों को खासी असुविधा का सामना करना पड़ता है। हालांकि अल्मोड़ा के सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी विमल पांडे एक शिकायत के उत्तर में बताते हैं कि उन्होंने कुछ मार्गों के परमिट जारी न होने के बावजूद उन मार्गों पर वाहन संचालन के कारण कुमाऊं मोटर ऑनर्स लि. के चार वाहनों के चालान किए हैं।
पिछले साल २८ सितंबर २०१५ को और ६ अप्रैल २०१५ को कुमाऊं कमिश्नर की अध्यक्षता में हुई बैठकों में यह तय किया गया था कि कुमाऊं मोटर्स यूनियन के परमिटधारक रोटेशन के आधार पर ही गाडिय़ां चलाएंगे, किंतु वाहन मालिक जनता से जुड़ी सेवाओं को गंभीरता से नहीं लेते। इसके अलावा शासन को परमिटों के आवंटन में भी बड़े खेल के खिलाफ कई शिकायतें शासन में आती रहती हैं। दुर्घटना की दृष्टि से पहाड़ों में ४२०० व्हील बेस से ज्यादा की गाडिय़ां चलाई जानी प्रतिबंधित हैं। विभिन्न न्यायालयों ने भी इस संबंध में निर्देश जारी किए हुए हैं, किंतु हल्द्वानी का परिवहन विभाग भी इन्हें गंभीरता से नहीं लेता। २१ अक्टूबर २०१५ को कुमाऊं के कमिश्नर अवनेंद्र सिंह नयाल ने कुमाऊं के संभागीय परिवहन अधिकारी को निर्देश दिए थे कि प्रत्येक स्वीकृत मार्ग में वाहन का संचालन रोस्टर का अनुपालन कराते हुए सुनिश्चित करें तथा कमिश्नर को पाक्षिक रूप से रिपोर्ट उपलब्ध कराएं, किंतु इन निर्देशों पर भी परिवहन विभाग उदासीन बना हुआ है। कुमाऊं के पर्वतीय मार्गों पर रात्रि में टैक्सी-मैक्सी के संचालन से होने वाली दुर्घटनाओं के कारण रात्रि संचालन को रोकने संबंधी शिकायतों पर भी कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई है। कुमाऊं के पुलिस उपमहानिरीक्षक पीएस सैलाल ने भी १३ अगस्त २०१५ को सभी पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखकर रात्रि संचालन पर रोक लगाने के निर्देश दिए थे।
उपरोक्त शिकायतों पर यदि अमल किया जाता तो न सिर्फ दुर्घटनाओं पर रोक लगती, बल्कि प्राइवेट वाहन संचालकों की मनमानी पर रोक लगने के साथ ही सरकार को राजस्व का भी लाभ होता।

ग्रामीण क्षेत्रों के मार्गों में परमिट अब जरूरी नहीं रहेगा। पिछले दिनों परिवहन मंत्री नवप्रभात ने मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों में यह संशोधन प्रस्तावित किया है। इससे परिवहन विभाग द्वारा नए चिन्हित 400 रूट में से 150 ग्रामीण रूट पर परिवहन की बाध्यता नहीं रहेगी।

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