शासन और सरकार के फरमान से जिलों में जिला अधिकारी आते-जाते रहते हैं। औसतन हर साल एक नया जिलाधिकारी आता है और चला जाता है। किंतु कुछ ही जिलाधिकारी ऐसे होते हैं जो अपने कार्यकाल में एक क्षेत्र को पकड़कर एक मिशन की तरह शुरुआत करते हैं और जनता के दिलों में हमेशा के लिए एक खास जगह बना जाते हैं।
ऐसी ही जिलाधिकारी हैं,- आईएएस सोनिका !
सुश्री सोनिका टिहरी जिले में आई तो जिले की लचर स्वास्थ्य सेवा ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया और उन्होंने मन ही मन में तय कर लिया कि कुछ भी हो, उनका जितना भी कार्यकाल जिले में रहेगा, वह स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कुछ ऐसा कर जाएंगे जो मील का पत्थर साबित हो।
पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं के गिरते स्तर व दुर्गम क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी को मध्य नजर रखते हुए जिलाधिकारी सोनिका की एक अभिनव पहल का पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में 555 ‘स्वास्थ्य सलाह सेवा’ के कॉल सेंटर का शुभारंभ नई टिहरी में किया गया। यह सेवा 21जून को शुरू की गई है।
इस सेवा का मकसद गांव में दूरदराज क्षेत्रों के लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाना व जिला अस्पताल बौराड़ी मे मौजूद विशेषज्ञ डॉक्टरों को हेल्पलाइन नंबर के माध्यम से जोड़ना था। जिसके लिए टोल फ्री नंबर 555 बीएसएनएल उपभोक्ता व 1800 180 4112 अन्य उपभोक्ताओं के लिए शुरू किया गया। क्षेत्र से कोई भी मरीज इस नंबर पर संपर्क कर सकता है। कॉल सेंटर के द्वारा मरीज की बात डॉक्टर से करवाई जाती है और डॉक्टर की सलाह के द्वारा मरीज के लिए दवाइयां बताई जाती है।दवाई की सूचना मिलते ही IMP यानी इम्मीडिएटली मेडिसिनल प्रोवाइडर डॉक्टर की सलाह के द्वारा बताई गई दवाइयों को मरीज तक पहुंचा देते हैं। शुरुआती दौर में निशुल्क दवाइयों का वितरण किया गया जिसके कारण अनावश्यक कॉल भी आयी।
अनावश्यक कॉल को कम करने के लिए दवाइयों को घर तक पहुंचाने व सुविधा शुल्क के रुप मे मात्र ₹30 रखा गया। बाद मे IMP की कमी ,कार्य क्षेत्र बढ़ जाने के कारण दवाइयां पहुंचाने का जिम्मा नजदीकी क्षेत्र के ANM व आशा कार्यकर्ताओं को दिया गया। जिसके लिए प्रत्येक ANM सेंटर में औषधियां पहुंचाई गई। इसके लिए चंबा क्षेत्र में 29 डिपो का चयन किया गया। अब दवाइयां मरीज तक नजदीकी डिपो से पहुंचाई जा रही थी। लेकिन आशा कार्यकर्ताओं के मानदेय व समय-समय पर प्रशिक्षण न होने के कारण दवाइयों का समय पर ना पहुंचना व दवाइयों का अनावश्यक प्रयोग होने लगा था।जिसके लिए दवाई वितरण की सेवा को केवल आपातकालीन अतिआवश्यकता पड़ने पर ही सेवा के रूप में रखा गया।इसके साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग की अन्य सेवाओं जैसे कि डॉक्टर वह परामर्शदाताओं के द्वारा घर बैठे सलाह, आपातकालीन एंबुलेंस सेवा 108, खुशियों की सवारी, ‘वाह स्वास्थ्य विभाग’ के अन्य वाहनों को हेल्पलाइन नंबर 555 से जोड़ा गया।गंभीर बीमारियों के लिए रेफरल एवं रोग जांच,दिव्यांगों हेतु उपकरण के साथ-साथ नगर क्षेत्र में अप्रयुक्त दवाइयों के एकत्रीकरण के लिए ड्रॉपबॉक्स स्थापित किए गये।
इस सेवा के प्रति लोगों का काफी अच्छा रुझान है और यह इतनी चर्चित सेवा हो गई है कि आसपास के पौड़ी और उत्तरकाशी जिलों से भी इस सेवा के लिए फोन आते हैं। यहां तक कि कई बार हिमाचल के लोग भी 555 डायल कर बैठते हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से बजट मिलने के बाद वर्तमान में तीन अन्य सेवाओं को भी इस सेवा से जोड़ा गया है।जिसमें स्वास्थ्य संबंधित डॉक्टर के द्वारा मरीज के लिए बाहर की दवाइयां लिखे जाने, स्वास्थ्य विभाग के किसी भी कार्यरत कर्मचारियों के द्वारा मरीज के साथ किए जाने वाले दुर्व्यवहार को लेकर,अस्पताल मे स्वच्छता व पेयजल संबंधी शिकायत भी दर्ज की जा सकती हैं।
वर्तमान समय में गरीबों के लिए भी कपड़ों की व्यवस्था भी इस सेवा के द्वारा की जा रही है। अब IMP केवल औषधि प्रदाता के रूप में न होकर सेवा प्रदाता के रूप में कार्य कर रहे हैं।हाल ही मे इस सेवा के द्वारा दस सेंटरों मे मरीजों को व जिला अस्पताल में कार्यरत विशेषज्ञ डॉक्टरों को वीडियो कांफ्रेंस के द्वारा जोड़ा गया। यहां उनको टेलीमेडिसन की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।घर बैठे ही मरीज को दवा की सलाह प्राप्त हो जाती है।
जिलाधिकारी सोनिका सिंह मानती है कि स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ शिक्षा की व्यवस्था सुचारू कर दी जाए तो पलायन पर काफी हद तक रोक लगाई जा सकती है। जिलाधिकारी सोनिका सिंह जहां भी दौरे पर जाती हैं नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण करना नहीं भूलती।
अस्पतालों के डॉक्टरों और कर्मचारियों को हमेशा इस बात के लिए चौकन्ना और मुस्तैद रहना पड़ता है कि ना जाने कब सोनिया जी निरीक्षण पर आ धमके। हाल ही में उन्होंने बौराड़ी अस्पताल का औचक निरीक्षण किया तो 14 कर्मचारियों को अनुपस्थित पाया उन्होंने तत्काल 16 कर्मचारियों का वेतन रोक दिया और सीएमएस की जांच के लिए सीएमओ को आदेश दे डाले।
हाल ही में सोनिका सिंह ने टिहरी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं को लेकर जांच शुरु कर दी और उनकी रिपोर्ट शासन को भेजी तो सीएमओ को टिहरी से रुखसत होना पड़ा।
टिहरी निवासी और प्रदेश कांग्रेस के सचिव पंकज रतूड़ी कहते हैं कि रूटीन के प्रशासनिक कार्य निपटाने के अलावा स्वास्थ्य सेवा को चुस्त-दुरुस्त करने की प्रति सोनिका सिंह का यह मिशनरी भाव उन्हे अन्य जिलाधिकारियों से अलग खड़ा कर देता है।