मामचन्द शाह
डिफेंस कालोनी देहरादून स्थित मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के घर के आस-पास आजकल एक ऐसा वन्य जीव घूम रहा है, जिसको लेकर स्थानीय लोगों में आशंका है कि वह बिज्जू जैसे खतरनाक नरमांस भक्षी जैसा जीव तो नहीं है! जिसका स्वभाव मौका मिलते ही छोटे बच्चों पर हमला करने वाला होता है। यही नहीं वह कब्र खोदकर भी मुर्दे से मांस खाता है। कुछ लोगों का कहना है कि ये बिज्जू नहीं, बल्कि कुरथाल है, जो शांत स्वभाव का जीव है, किंतु वन विभाग को इस मामले की भनक नहीं है।
बिज्जू एक रात्रिचर जीव है और इसका अंग्रेजी नाम हनी बडगर है। यह सीवेट प्रजाति का होता है। यह दिखने में कुरथाल जैसा, लेकिन उससे थोड़ा सा बड़ा होता है। बिज्जू भारत सरकार के वन अधिनियम के अनुसार संरक्षित श्रेणी का प्राणी है। आमतौर पर वह लोगों से डरकर इधर-उधर छिप जाता है, लेकिन जब उसे लगता है कि उसकी जान खतरे में है तो वह भयंकर तरीके से काट भी सकता है। पानी आदि की तलाश में वह जंगल से आबादी क्षेत्रों की ओर आ जाता है। लोग बिज्जू से इसलिए डरते हैं, क्योंकि बिज्जू खासतौर पर छोटे बच्चों को अपना निशाना बनाता है और पालतू छोटे जानवरों को भी खा जाता है। इसके अलावा दफन किए इंसानी शवों को नोचकर भी वह अपना पेट भरता है।
देहरादून शहर प्रदेश का सबसे बड़ा शहर ही नहीं, यहां की राजधानी भी है। वन विभाग का मुख्य कार्यालय भी देहरादून में ही स्थित है। डिफेंस कालोनी शहर का जाना-माना इलाका है और यहां मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का घर भी है। कालोनीवासी बताते हैं कि ऐसा नहीं है कि बिज्जू या कुरथाल अचानक यहां घूम रहा है, बल्कि विगत एक साल से यह रात्रिचर जीव इस इलाके में घूम रहा है। इनकी संख्या काफी बढ़ चुकी है। वन्य जीव संरक्षण को मद्देनजर रखते हुए हम डिफेंस कालोनी में जहां-जहां बिज्जू रहता है, उसका जिक्र नहीं कर रहे हैं, मगर प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार ये कुरथाल नहीं, बल्कि बिज्जू ही है।
इस संबंध में जब मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक डीबीएस खाती से पूछा गया तो उनका कहना था कि ये सिवेट कैट है। आमतौर पर यह हमला नहीं करता है, लेकिन यह दफन किए गए शवों को खाने वाला (ग्रेव डिगर) है। इनसे डरने जैसी कोई बात नहीं है। इस संबंध में उन्हें जानकारी नहीं है। डीएफओ के पास जरूर इसकी जानकारी मिली होगी।
प्रभागीय वनाधिकारी राजीव धीमान से जब पूछा गया तो उनका कहना था कि उन्हें इसकी जानकारी है। यह जीव खतरनाक नहीं होता, किंतु ग्रेव डिगर जरूर है। इससे लोगों में थोड़ा डर तो रहता ही है, लेकिन लोगों को चाहिए कि इसे मारें नहीं। फिलहाल डिफेंस कालोनी के मामले में उनका रेस्क्यू करने का कोई प्लान नहीं है। हां प्रतिवर्ष हम डेढ़ से दो सौ बिज्जू पकड़कर वनों में छोड़ आते हैं।
इस संबंध में कालोनीवासियों ने मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक डीबीएस खाती और डीएफओ राजीव धीमान को अवगत करा दिया गया था। सवाल यह है कि वन विभाग के आलाधिकारी संसाधन व खबर होने के बावजूद ग्रेव डिगर जैसे जंगली जीव से कालोनीवासियों की समस्या का समाधान क्यों नहीं कर रहे?