कुलदीप एस राणा
उत्तराखंड हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी ( उडा ) ने रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट 2016 (रेरा ) के अंतर्गत पंजीकरण करवाने में कोताही बरतने वाले 50 बिल्डर्स पर सख्ती करते हुए नोटिस भेजें हैं।
उत्तराखंड में रेरा को लागू हुए लगभग 6 माह से भी अधिक का समय बीत चूका है इस दौरान बिल्डर्स को उडा द्वारा अनेक वर्कशॉप के माध्यम से रेरा के अंतर्गत अपने प्रोजेक्ट्स के पंजीकरण करने से सम्बंधित जानकारियाँ भी साझा की गयी ताकि बिल्डर्स पंजीकरण में की किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
बावजूद इसके प्राधिकरण ने पाया कि बिल्डर्स रेरा के अंतर्गत पंजीकरण से कतरा रहे हैं और अपने प्रोजेक्ट्स को रेरा अधिनियम में पंजीकरण करवाने को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं।
1 मई 2017 से पूरे प्रदेश में लागू हो चुके रेरा अधिनियम 2016 के अंतर्गत सभी रियल एस्टेट कारोबारियों को अधिनियम के अंतर्गत अपना पंजीकरण करना अनिवार्य है।
13 बिल्डर्स को दिया सात दिन का नोटिस
प्रोजेक्ट से सम्बंधित जरुरी दस्तावेजों को संलग्न न कर पंजीकरण प्रक्रिया को बाधित करने वाले बिल्डर्स पर प्राधिकरण शिकंजा कसने का पूरा मन बना चुका है। इसी क्रम में ऐसे 13 बिल्डर्स को चिन्हित कर नोटिस भेजा गया है जो पूर्व में दिए गए नोटिस को गंभीरता से नही ले रहे थे और काफी समय बीत जाने के बावजूद जरूरी दस्तावेज प्राधिकरण को उपलब्ध नहीं करवा रहे हैं।
बिल्डर्स की यह हरकत उनकी मंशा पर भी सवाल खड़े कर रही हैं। प्राधिकरण ने इन 13 बिल्डर्स को मात्र सात दिन का समय दिया है। आठवें दिन से उनके प्रोजेक्ट को ब्लैक लिस्टेड किये जाने की कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी।
13 बिल्डर्स के नाम की सूची –
37 बिल्डर्स को जारी किया पहला नोटिस
13 बिल्डर्स की देखा देखी अन्य बिल्डर्स भी उन्ही की राह में चलने की तैयारी कर रहे 37 अन्य बिल्डर्स को भी प्राधिकरण ने नोटिस जारी कर जरूरी दस्तावेज उपलब्ध करने को कहा है। प्राधिकरण के संज्ञान में आया है कि कुछ बिल्डर्स ने रेरा अधिनियम के अंतर्गत अपने प्रोजेक्ट के पंजीकरण से बचने के लिए गलत शपथ पत्र तक प्रस्तुत किये हैं। ताकि प्राधिकरण से वास्तविकता छुपाई जा सके और खरीदार की आँखों में धूल झोंक उनसे मनमाना पैसा ऐंठ सकें। 37 बिल्डर्स की सूचि ..
प्राधिकरण के नियामक अधिकारी और शासन में सचिव आवास का दायित्व देख रहे अमित नेगी ने सूबे के सभी जिला अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वह बिल्डर्स द्वारा फ्लैट या अन्य कमर्सियल की रजिस्ट्रियों की जाँच कर उसका ब्यौरा प्राधिकरण को उपलब्ध कराएं। जिससे दोषी कारोबारियों के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही सुनिश्चित की जा सके और खरीदारों को परेशानियों का सामना न करना पड़े !