जितेंद्र जोशी/सतपुली
उप मुख्य चिकित्साधिरी पौड़ी अजीत जौहरी बताते हैं कि एनआरएचएम की सस्ते सैनेटरी पैड बांटने की योजना महिला स्वास्थ्य व स्वच्छता जागरुकता अभियान का हिस्सा था, जिसकी समय सीमा साल 2015 तक थी। आज जहां चिकित्सकों के द्वारा महिलाओं को सैनेटरी पैड कुछ घंटों में बदलने की सलाह दी जाती है, वहीं पहाड़ के दुर्गम इलाकों की महिलाएं एक बार फिर कपड़े के इस्तेमाल को मजबूर हैं।
सरकार मुल्क के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के स्वास्थ्य व निजी स्वच्छता को लेकर किस कदर गंभीर है कि इस का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सूबे के दुर्गम पहाड़ी इलाकों में आज भी महिलाएं माह के कठिन दिनों के समय सैनेटरी पैड के जगह कपड़े का प्रयोग करने को मजबूर हंै। कपड़े की सफाई व उचित रखरखाव न होने के कारण इन महिलाओं पर लगातार संक्रमण का खतरा बना रहता है।
साल 2012 में केंद्र सरकार द्वारा देश के ग्रामीण इलाको की महिलाओं के लिए आशा वर्करों के माध्यम से 6 रुपए में सैनेटरी उपलब्ध कराने की योजना शुरु की गई थी। सस्ते सैनेटरी पैड घर के नजदीक एएनएम केंद्रों में उपलब्ध होने से ग्रामीण तबके की महिलाओं को गंदे कपड़े की सफाई, सूखने में समय, बार-बार एक ही कपड़े के प्रयोग और संक्रमण के खतरे जैसी दिक्कतों से निजात मिली थी, पर साल 2015 में इस योजना को बंद कर दिया गया।