बात दरअसल ये है कि पिछले दिनों खुद को पशुपालन मंत्री रेखा आर्य का परिजन बताते हुए एक नेता पशुपालन विभाग में धमक गया। उसने न सिर्फ पशुपालन विभाग के वर्तमान निदेशक को बुला डाला, बल्कि पूर्व निदेशक को भी मीटिंग में बुला दिया। अब कर्मचारी लोग भी बड़ी हैरानी में थे कि लगता है वाकई डबल इंजन की सरकार आ गई, तभी तो नेताजी ने निदेशक के साथ-साथ रिटायर हो चुके निदेशक को भी बुला डाला।
अब नेताजी कुर्सी पर बिराजे और शाही अंदाज में पहला वाक्य उनके मुंह से निकला,- ”आप लोगों का क्या तरीका है। ”अधिकारी अपनी तरफ से लगे छौंकने कि विभाग की योजना को गति देने के फलां-फलां तरीके हैं। इससे पहले कि उनका वाक्य प्रयोग पूरा होता, नेताजी सीधे प्वाइंट पे आए और बोले कि- ”मैं अपनी कमाई के तरीके पूछ रहा हूं। सीधे-सीधे बताओ कि अब तक ट्रांसफर-पोस्टिंग में और अन्य मदों में कितना-कितना परसेंट कहां-कहां से आता है?”
बहरहाल, मीटिंग में जो भी और बातें हुई हों, लेकिन सुना है कि नेताजी ने ट्रांसफर-पोस्टिंग में तीन महीने की तनख्वाह का चढ़ावा फिक्स कर दिया है। हालांकि यह अभी तक पता नहीं चल पाया है कि इन नेता जी का विभागीय मंत्री से वाकई कोई रिश्ता है भी या नहीं और यदि कोई रिश्ता है तो नेताजी की इस मीटिंग का मंत्री जी को कोई संज्ञान है भी या नहीं।