भाजपा की एक नेत्री का आजकल जवानी की अवसान बेला में प्रेम जवान हो रहा है। पहले जिससे प्रेम हुआ, वह परवान चढ़ा नहीं। प्यार का अंकुर पौधा बनने से पहले मुरझा गया और ख्वामखाह अफसाने बन गए। जब तक वास्तविकता के धरातल पर उतरी, तब तक विवाह कर गृहस्थी बसाने की उमर चली गई।
अब सुना है भाजपा की यह नेत्री समझ चुकी है कि बिना सांसारिक सुख भोग के इस दुनिया से विदा हुए तो आध्यात्म की मंजिल भी अधूरी रह जाएगी। कुछ-कुछ ऐसा ही ब्रह्म ज्ञान हरिद्वार के एक आश्रम में रहने वाले संत जी को भी हो गया। बस फिर क्या था। भाजपा नेत्री अक्सर चुपचाप उत्तराखंड का दौरा बनाकर हरिद्वार के आश्रम तक सिमटकर रह जाती हैं। उत्तराखंड के कई कार्यक्रम भाजपा नेत्री के कर कमलों से शुरू होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, किंतु क्या करें, चलो कोई बात नहीं। राम तेरी गंगा कम से कम हरिद्वार तक तो मैली नहीं है!