श्रीनगर केंद्रीय विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में बढ़ाई गई सीटें निरस्त कर दी गई हैं।
गौरतलब है कि वर्ष 2016 में तत्कालीन कुलपति जेएल कौल ने नियम कायदों से और अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कुछ संबद्ध कॉलेजों की सीटें मनमाने ढंग से बढ़ा दी थी।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार ने इस पर आपत्ति जाहिर की थी और आदेश दिया कि शैक्षिक सत्र 2018-19 से यह सीटें नहीं बढ़ाई जाएंगी।
इस संबंध में दौलतराम सेमवाल वर्सेस उत्तराखंड सरकार के वाद में हाई कोर्ट ने वर्ष 2014 में सीटें बढ़ाए जाने का फैसला निरस्त करने के आदेश दिए थे।
रजिस्ट्रार डॉक्टर ए के झा ने 7 जून को एक आदेश जारी करते हुए कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय तथा हाईकोर्ट के जजमेंट के अनुसार कोर्स में उतनी ही सीटे रहेंगी, जितनी 14 जनवरी 2009 को थी।
उदाहरण के तौर पर यदि किसी कोर्स के लिए 50 सीटें 14 जनवरी 2009 तक स्वीकृत थी और बाद में यह 80 हो गई तो फिर उस कोर्स की सीटें 50 तक ही सीमित हो जाएंगी।
इस प्रकार से नए अकादमिक सत्र वर्ष 2018- 19 में एक जुलाई 2018 से 50 सीटें ही स्वीकृत मानी जाएंगी। इसी तरह से उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 14 जनवरी 2009 के बाद हुए नए कोर्सेज के संबद्धीकरण के आदेश भी नए सत्र से निरस्त माने जाएंगे।
डॉ झा ने अपने आदेश में साफ किया कि किसी भी इंस्टिट्यूट ने जनवरी वर्ष 2009 तक स्वीकृत सीटों में से कोई भी एक्स्ट्रा एडमिशन किया तो वही उसके लिए जिम्मेदार होंगे और विश्वविद्यालय किसी भी स्थिति में ऐसे अतिरिक्त विद्यार्थी के लिए कोई परीक्षा आयोजित नहीं कराएगा।