अटैक पर जा रही इंडियन आर्मी के जवानों को यदि चारों तरफ से गोलाबारी का सामना न करना पड़े तो यह समझा जाता है कि अटैक गलत दिशा में जा रहा है ,और आर्मी एंबुश में फंसने वाली है। यह है कर्नल अजय कोठियाल प्राचार्य निम का बयान।
तो क्या राजनीति में आ रहे है कर्नल अजय कोठियाल?
क्या 2019 के संसदीय चुनाव में होगी कर्नल की परीक्षा?
आरटीआई और सोशल मीडिया अटैक पर क्या बोले कर्नल।
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान निम के प्राचार्य रहते हुए केदारनाथ आपदा पुनर्निर्माण से चर्चा में आये कर्नल कोठियाल अब यूथ फाउंडेशन के माध्यम से विभिन्न सामाजिक कार्यो में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने लगे हैं ।इस बीच उनके राजनीति में आने की चर्चाओं के बाद उनकी छवि को धूमिल करने के उद्देश्य से उन पर कई तरह के हमले भी शुरु हो गए हैं।
गिरीश गैरोला
उत्तरकाशी जनपद के मनेरी नित्यानंद अस्पताल में वार्षिकोत्सव की अध्यक्षता करते हुए केदारनाथ पुनर्निर्माण के हीरो और निम के प्राचार्य कर्नल अजय कोठियाल ने पर्वत जन के एक सवाल के जवाब में उक्त बात कही ।
कर्नल अजय कोठियाल ने कहा कि सेना में कर्नल होने के नाते सैकड़ों लोग उनके पास इस लिहाज से आते थे कि वे उनके बच्चों को आर्मी में भर्ती करने में मदद करेंगे। इसी कांसेप्ट को लेकर उन्होंने यूथ फाउंडेशन का गठन किया जो आज प्रदेश के नौजवानों को सेना में भर्ती होने के लिए तैयार कर रही है । इसके अच्छे रिजल्ट सामने आए हैं, जिसके बाद यूथ फाउंडेशन मेडिकल के क्षेत्र में भी आगे आ रही है और स्ट्रांग विचार वाले कल्चरल एक्टिविटी को भी बढ़ावा दे रही है।
इसके साथ ही यूथ फाउंडेशन ने प्रदेश के सभी युवाओं को एक छतरी के नीचे आ कर ऊपर बढ़ने के लिए एक योजना बनाई है , फिर चाहे वह युवा किसी भी राजनीतिक दल का हो। यदि सभी युवा एक साथ किसी मकसद के लिए आगे बढ़ें तो पहाड़ों में आपदा की बात हो अथवा पलायन की समस्या सब का समाधान आसानी से हो सकता है ।कर्नल अजय कोठियाल के राजनीति में आने के प्रश्न पर एक वर्ग विशेष द्वारा उनके खिलाफ किए जा रहे अटैक पर कर्नल अजय कोठियाल ने एनएसए अजीत डोभाल से हुई मुलाकात के बाद दी गयी उनकी सलाह का हवाला देते हुए कहा कि सेना के जवानों को अपना काम करते हुए सदैव आगे बढ़ते रहना चाहिए, इस दौरान यदि चारों ओर से गोलाबारी और धमाका ना हो तो यह माना जाता है कि भारतीय सेना का अटैक गलत दिशा में जा रहा है ।
कोठियाल बताते हैं-‘ एनएसए अजीत डोभाल की सलाह पर वे सेना की तर्ज पर काम करते हुए हुए केदारनाथ पुनर्निर्माण के साथ युवाओं को सेना में भर्ती जैसे कई अन्य कार्य करते हुए आगे बढ़ते जाएंगे और इस दौरान यदि इलेक्शन की बात आती है तो सोचा जाएगा।’ बकौल कोठियाल फिलहाल उन्हें राजनीति की परिभाषा भी नहीं मालूम है और वह भारतीय सेना के अंदाज में ही आगे बढ़ते रहेंगे। शायद यही वजह है कि उनके द्वारा किए गए कार्यों से कुछ लोग इतने परेशान हैं कि उन्हें आरटीआई और सोशल मीडिया के माध्यम से दबाव बनाकर रोकने की भरपूर कोशिश की जा रही है।