अमित तोमर (अधिवक्ता
शातिर अपराधी फैजान है जो प्रकाश पाल के नाम से उत्तराखंड में करता है अपराध। कई थानों में मुकदमा दर्ज होने की सूचना। टिहरी में बाकायदा झूठे नाम पर बाइज्जत बरी भी।
शातिर फैजान ने टिहरी पुलिस को नही बल्कि माननीय न्यायलय को भी मूर्ख बनाया। प्रकाश नाम की फ़र्ज़ी id पर केस लड़ा और बरी भी हो गया।
क्या होगा इस देश का??
क्या पुलिस विवेचक पर चलेगी जांच!
5दिसंबर के 9 बजे सूचना मिली की देहरादून के नवादा गांव में एक शातिर अपराधी प्रकाश पाल पुत्र राकेश पाल निवासी अधोई वाला जिला देहरादून रहता है जो क्षेत्र में अनैतिक कार्य -वैश्यावृति व शराब तस्करी में लिप्त है। तत्काल विश्व हिंद परिषद के जिला सह मंत्री विजेंद्र सिंह नेगी से मामले का संज्ञान लेने का आग्रह किया क्योकि उनका घर भी उसी गांव में है।
जब क्षेत्र के लोग उपरोक्त घर पर पहुंचे तो उसके बाहर किसी फैजान का नाम लिखा पाया। संदेह हुआ तो उक्त प्रकाश पाल से लोगो ने फैजान के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उसका असली नाम प्रकाश नही अपितु फैजान पुत्र अब्दुल सत्तार मूल निवासी बहादराबाद जिला हरिद्वार है। लोगों के दबाव में उसने अपनी दोनों id भी दिखा दी जो प्रकाश और फैजान के नाम से बनी है। फैजान ने बताया कि वह गत कई वर्षों से उत्तराखंड में प्रकाश के नाम से अपराध करता है।
शातिर फैजान किसी बड़े गिरोह का सदस्य है, जिसपर कई मुक़दमे दर्ज हैं। फैजान के पास से टिहरी के माननीय न्यायालय के आदेश की एक सर्टिफाइड कॉपी मिली, जिसमे बाकायदा उसे बरी किया गया था। पुलिस और यहां तक कि माननीय न्यायालय को भी उसने गुमराह किया और पूरा मुकदमा प्रकाश पाल की झूठी पहचान से लड़ा और बरी भी हो गया।
आज जब उक्त संपत्ति के मालिक से छानबीन की गयी तो पता चला कि फैजान उनकी संपत्ति में जबरन घुस कब्ज़ा किये बैठा है। मकान मालिक की ओर से एक लिखित तहरीर नेहरू कॉलोनी के थानाध्यक्ष राजेश शाह को दी गयी, जिसपर उन्होंने मामले को गंभीरता को लेते हुए जोगीवाला पुलिस चौकी प्रभारी सचिन पुंडीर को तत्काल कार्यवाही हेतु आदेशित किया। मकान मालिक के साथ क्षेत्र के अनेक लोग चौकी पहुंचे तो पाया कि उपरोक्त फैजान पहले से ही वहां बैठा है और उसकी पैरवी में चौकी के कुछ चाटुकार चमचे भी मौजूद हैंं।
फैजान जैसे शातिर अपराधी को जोगीवाला पुलिस पूरा VIP treatment देने में जुटी थी। दारोगा को सभी साक्ष्य दिए गए पर दारोगा जी पर जूं नही रेंगी। जबकि शातिर फैजान ने दारोगा के मुहँ पर सबके सामने अपने अपराध कबूले। पुलिस ऐसे अपराधियों पर अंकुश लगाने के उलट उन्हें संरक्षण दे रही है। शहर में बढ़ते अपराध के पीछे पुलिस का यही निकम्मापन है।
कैसे जनता विश्वास करे खाकी पर जब इतनी बड़ी घटना पर भी मुकदमा नही लिखा जाता। पुलिस चौकी के हाकिमो को ना डर है ना अपराध की चिंता। यह राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर भी एक गंभीर प्रकरण है क्योंकि मात्र 4 दिन बाद भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड भी है। सोचो यदि ऐसे शातिर कोई आतंकी वारदात को अंजाम देने में जुटे हो ??क्या होगा इस उत्तराखंड का जहां शातिर अनपढ़ अपराधी भी पुलिस और न्यायालय को गुमराह करने में सफल हो जाते है।