गजेंद्र रावत//
मुख्यमंत्री की कुर्सी पाने में लगे भाजपा के दो वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी और पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक आजकल फिर चर्चाओं में हैं। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए ९ नवंबर २००० राज्य गठन की तिथि से दोनों नेता इतनी कोशिश में लगे रहे कि जब पहले राज्यपाल और पहले मुख्यमंत्री को देहरादून के परेड ग्राउंड में शपथ दिलाई जा रही थी, तब ये दोनों अलग-अलग स्थानों पर भविष्य की रणनीति तय कर रहे थे। बाद में दोनों को मुख्यमंत्री बनने का अवसर भी मिला, लेकिन अल्प कार्यकाल में दोनों विदा हो गए।
इन दिनों गाय-गंगा के नाम पर वोट की राजनीति करने वाली भाजपा के लोग अब गौमाता के नाम पर भी धंधा कर रहे हैं। गाय के नाम पर खाता खोलकर न सिर्फ चंदा वसूली हो रही है, बल्कि गाय के घास से लेकर तमाम तरह से काला धन सफेद हो रहा है। हरिद्वार जनपद के रुड़की के बजरंग दल से लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के तमाम कार्यकर्ता गौशाला रुड़की के सह सचिव एवं हरिद्वार के सांसद रमेश पोखरियाल निशंक के सांसद प्रतिनिधि रामगोपाल कंसल के उस स्टिंग के बाद धरने प्रदर्शन में लगे हैं, जिसमें राम गोपाल कंसल काला धन सफेद करने का काम कर रहे हैं। रामगोपाल कंसल का यह स्टिंग एक समाचार चैनल में प्रसारित होने के बाद सांसद और उनके सहयोगी बैकफुट पर हैं।
रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा बनाए गए अनगिनत सांसद प्रतिनिधियों में से रामगोपाल कंसल की इस हरकत के बावजूद अभी तक उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है। इससे पहले नैनीताल ऊधमसिंहनगर के सांसद भगत सिंह कोश्यारी के सांसद प्रतिनिधि भी इसी तरह कोश्यारी की तब किरकिरी करवा गए, जब उनके सांसद प्रतिनिधि चोरी के एक मामले में धरे गए। सांसद भगत सिंह कोश्यारी के प्रतिनिधि अमित चौहान को तब धरा गया, जब उनसे चोरी के कई वाहन बरामद हुए। अमित चौहान बाइकचोर गिरोह का अहम् सदस्य रहा है।
दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों की इस प्रकार अपने प्रतिनिधियों के कारनामों के कारण किरकिरी होने से एक बात तो साफ हो गई कि हमारे जनप्रतिनिधि बिना सोचे-समझे जब ऐसे लोगों को अपनी कार पर सांसद प्रतिनिधि लिखवाने का और विभागीय बैठकों में जाने का सम्मान देंगे तो उन्हें ऐसी फजीहत तो झेलनी ही पड़ेगी।