नीरज उत्तराखंडी
दस्तावेज सड़कों के ठेके हासिल करने के लिए फर्जी अनुभव प्रमाणपत्र बनाने के मामले में ठेकेदार के विरूद्ध विभाग की शिकायत पर मोरी थाना पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
लोक निर्माण विभाग ने पुरोला ने वर्ष 2016-17 में मोरी-नैटवाड़-सांकरी मोटर मार्ग पर डामरीकरण के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई थी। यह कार्य ठेकेदार जनक सिंह के नाम आवंटित हुआ था।स्थानीय लोगों द्वारा मार्ग में करवाये गये घटिया गुणवत्ता के कार्य करने तथा पुराने कार्यो पर ही लीपापोती करने का आरोप लगाकर विभाग से शिकायत थी।विभाग ने जब मामले मे निर्माण कार्य की जांच करवाई तो ठेकेदार ने विभाग पर भुगतान का दबाव बनाया और मामले को दबाने के लिए लोनिवि के जेई को घूस लेते विजिलेंस की टीम से रंगे हाथ पकड़वाया था।
इसी दौरान विभाग में चल रही जांच में जब आरोपी ठेकेदार जनक सिंह रावत के दस्तावेजों की पड़ताल की गयी तो उसके द्वारा निर्माण कार्य का ठेका हासिल करने के लिए जो कार्य अनुभव प्रमाण पत्र प्रस्तुत किये गये वे फर्जी पाये गये। अब विभाग ने मोरी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है।
लोनिवि के अधिशासी अभियन्ता धीरेन्द्र कुमार का कहना है कि ठेकेदार के विरूद्ध मोरी थाने में एफ आई आर दर्ज कराई गई है। वहीं मोरी के थानाध्यक्ष दीप कुमार का कहना है कि आरोपी के विरूद्ध मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
आरोपी ठेकेदार के विरूद्ध मोरी थाने में विभिन्न धाराओं (420,467,468 व 471) में मुकदमा दर्ज किया गया है। ठेकेदार ने अस्कोट पिथौरागढ़ सहित कई अन्य डिविजनों से हासिल किये थे फर्जी अनुभव प्रमाणपत्र हासिल करके करोडों के ठेके हासिल किए थे। इधर इंजीनियर व ठेकेदार की आपसी लड़ाई से विभागीय कार्य पड़े ठप हो गये हैं तथा कई ठेकेदारों के भुगतान भी अधर में लटके हैं।
पाठकों को याद होगा कि पर्वतजन ने पहले भी ठेकेदार जनक सिंह रावत द्वारा फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर करोड़ों के ठेके हासिल करने की कई खबरें प्रकाशित की है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राघव लंगर जनक सिंह को फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर ठेके हासिल करने की कोशिश के दौरान पकड़े जाने के बाद विभाग में ब्लैक लिस्ट कर चुके हैं। किंतु इससे आगे इन पर कोई कार्यवाही नहीं हो पाई थी।
जनक सिंह के खिलाफ एक शिकायत पर उत्तराखंड शासन में तकनीकी सलाहकार द्वारा जांच भी बिठाई गई है किंतु यह जांच मुख्यमंत्री कार्यालय तक ठेकेदार की पहुंच और कुछ विधायकों के संरक्षण के कारण अभी तक अटकी पड़ी है। देखना यह है कि ताजा FIR के बाद ठेकेदार के खिलाफ क्या कार्यवाही होती है।