जगदम्बा कोठारी
रूद्रप्रयाग
आपके लोकप्रिय पोर्टल “पर्वत जन” की खबर पर एक बार फिर मुहर लगी है।
जनपद के जखोली विकासखंड मे हुए बहुचर्चित बारहसिंग्गा हत्याकांड मे पर्वत जन की खबर को भारतीय जीव विज्ञान संस्थान देहरादून ने भी सही बताया है।
यहाँ बता दें कि बीते 26 मार्च को जंगलों में भीषण आग जनी के चलते एक वन्य जीव, जिसे बारह सिंग्गा कहा जा रहा था, वह जगंलों से भागकर मयाली-चिरबटिया मोटर मार्ग के नजदीक ममणी पुल पर जान बचाने के लिए भागा ही था कि अचानक कुछ स्थानीय ग्रामीणों की नजर उस अधजले जानवर पर पढी तो तुरंत उसे घेर कर बेरहमी से मार दिया गया और उस दुर्लभ वन्य जीव का मांस 500 रूपये किलो तक बेचा गया। इसमे वन कर्मियों के शामिल होने की बात भी सामने आ रही थी।
इस खबर को सोशल मीडिया पर एक स्थानीय ग्रामीण ने वायरल कर दिया। जिसके बाद
वन्य जीव की हत्या की खबर को “पर्वत जन” ने प्रमुखता से प्रकाशित किया। हालाँकि वन विभाग इस घटनाक्रम से इनकार करता रहा। खबर प्रकाशित होने के बाद
मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने अपने नेतृत्व में टीम गठित कर तत्काल जांच के आदेश दिए।
मुखबिर की सूचना पर जांच दल न घटना स्थल से वन्य जीव के कुछ अवशेष, जिसमे गोबर व कुछ आन्ते और खुर थे।
वन विभाग ने यह सब अवशेष संरक्षित कर परीक्षण हेतु भारतीय जीव विज्ञान संस्थान चन्द्रबदनी देहरादून भेजा। 18 मई को वन्य जीव संस्थान परीक्षण मे यह अवशेष वन्य जीव संभवतः सांभर होने की पुष्टि भी कर दी।
लेकिन इसके बाद भी वन विभाग अभी तक आरोपी ग्रामीणों पर कोई कार्रवाई नहीं कर पाया।
हालाँकि वन विभाग ने स्थानीय जनता की सूचना पर कुछ संदिग्धों को जवाब तलब किया है लेकिन उन ग्रामीणों ने विभाग पर आरोप लगाया है कि विभाग निर्दोष व्यक्तियों को बिना सबूतों के नामजद कर रहा है।
स्थानीय ग्रामीण महावीर सिंह राणा, केदार सिंह राणा का कहना है कि नशे मे वन विभाग की टीम देर रात गांव मे पहुंची और जबरन निर्दोष व्यक्तियों को हिरासत में लेकर जा रही थी। जब ग्रामीणों ने इसका विरोध किया तो विभागीय कर्मचारियों ने स्थानीय ग्रामीणों के साथ बदसलूकी की जिसकी लिखित शिकायत उन्होंने पुलिस चौकी जखोली मे भी की है।
वहीं वन विभाग का भी आरोप है संदिग्ध को हिरासत मे लिया जा रहा था, ग्रामीणों ने वन विभाग की टीम से हाथापाई कर आरोपी को हिरासत से छुड़ाया, जिसकी लिखित शिकायत उन्होंने पुलिस चौकी जखोली व पुलिस अधीक्षक रूद्रप्रयाग से की है।
सामाजिक कार्यकर्ता रामरतन पँवार का कहना है कि वन विभाग को दोषियों के खिलाफ वन जीव अधिनियम के तहत कठोर कार्रवाई करनी चाहिए लेकिन विभाग निर्दोष व्यक्तियों को जबरन न फंसाये।
बहरहाल पर्वत जन की इस खबर से वन विभाग मे हडकम्प मचा है और विभागीय अधिकारी इस मामले मे कुछ भी कहने से बच रहे हैं।