केदारनाथ की तर्ज पर गौमुख-भोजवासा में भी कंक्रीट जंगल बनाने की तैयारी- शांति ठाकुर का बयान।
कड़ाके की सर्दी में गौमुख में झील निर्माण को बताया हास्यास्पद।
गौमुख में प्रवेश शुल्क को लेकर वन विभाग पर घोटाले का लगाया आरोप।
गिरीश गैरोला
गोमुख गंगोत्री क्षेत्र में ग्लेशियर के टूटने और झील बनने की अफवाहों के बीच ग्लेशियर लेडी शांति ठाकुर ने वन महकमे , सरकार और वैज्ञानिकों पर एक बड़ा आरोप लगा दिया है। शांति ठाकुर की माने तो सरकार केदारनाथ की तर्ज पर गोमुख भोजवासा क्षेत्र में भी कंक्रीट जंगल पनपाने की तैयारी कर रही है। जिसका वह वह हर स्तर पर विरोध करेंंगी।
ग्लेशियर लेडी शांति ठाकुर नहीं बकायदा पत्रकार वार्ता में सरकार पर उक्त आरोप लगाए उन्होंने कहा कि पिछले 18- 20 वर्षों से उनकी मुहिम यही रही है कि गौमुख क्षेत्र में मानवीय आवाजाही बंद की जाए।
बताते चलें कि शांति की मुहिम के बाद ही उच्च न्यायालय ने गोमुख क्षेत्र में 1 दिन में केवल 150 व्यक्ति और 15 घोड़े खच्चरों को ही ले जाने की अनुमति दी थी। जिसके लिए न्यायालय ने वन महकमे को इसके पालन करवाने के लिए निर्देशित किया था।
शांति ठाकुर ने आरोप लगाया कि वन विभाग गौमुख में प्रवेश को लेकर संवेदनशील नहीं है। इतना ही नहीं वन विभाग के कर्मचारी एक ही प्रवेश पर्ची पर 10 से 12 लोगों को गोमुख क्षेत्र में भेजते रहे हैं। यही वजह है कि गोमुख क्षेत्र में ग्लेशियरों में टूट-फूट और झील बनने की खबरें समय-समय पर आती रहती हैं। इन्हीं सब सवालों को लेकर शांति ठाकुर विगत 18 से 20 सालों से काम कर रही हैं किंतु उनके सुझावों को कोई अमल नहीं किया गया ।
सर्दी के इस मौसम में जब डल झील भी जम गई हो ऐसे में गोमुख में झील के निर्माण और उससे खतरे को उन्होंने हास्यास्पद बताया। उन्होंने आशंका जताई कि केदारनाथ की तर्ज पर भोजवासा क्षेत्र में भी ट्रीटमेंट के नाम पर कंक्रीट स्ट्रक्चर बनाने की तैयारी की जा रही है।
उन्होंने कहा कि दिसंबर महीने के अंतिम सप्ताह में वह खुद हेलीकॉप्टर से गोमुख क्षेत्र की निगरानी करने जा रही हैं । गोमुख भोजवासा क्षेत्र में विलुप्त हो रहे भोज वृक्ष को लेकर वन विभाग की नीति पर सवाल उठाते हुए शांति ठाकुर ने प्रश्न किया कि गोमुख क्षेत्र में प्रवेश के नाम पर लिए जा रहे शुल्क का वन विभाग पूरा ब्यौरा दें कि आखिर वन विभाग इस पैसे का क्या सदुपयोग कर रहा है।