चटाई पर बैठकर परीक्षा देंगे छात्र – मुख्य शिक्षा अधिकारी उत्तरकाशी का बयान।
जहां बेहतर छात्र संख्या वहां नही कोई संसाधन , खाली पड़े स्कूलों मे मिल रहे शिक्षक और संसाधन भी!
गिरीश गैरोला
छात्र संख्या कम होने के बाद रद्द हुए जीआईसी जखोल के परीक्षा केंद्र को जीआईसी नैटवाड़ में बिना फर्नीचर के कराने को लेकर पूछे गए सवाल पर जिला शिक्षा अधिकारी रमेश चंद्र आर्य ने पर्वतजन को दूरभाष पर बताया कि ऐसे कई स्कूल हैं, जहाँ छात्रों को चटाई पर बैठ कर परीक्षा देनी होगी। वही 505 की अच्छी छात्र संख्या वाले नैटवाड़ स्कूल का चयन मॉडल स्कूल में क्यों नही हो सका, इसका कोई सटीक जबाब अधिकारी के पास नही था।
उत्तरकाशी जनपद की रंवाई घाटी मुख्यालय से सुदूर हिमाचल बॉर्डर से लगी हुई है। एक तरफ जहां शहरों में सरकारी स्कूलों में छात्रों का टोटा बना हुआ है, वहीं नैटवाड़ में बिना संसाधनों के 505 छात्र संख्या वाले स्कूल में और अधिक छात्र पढ़ने को इच्छुक हैं। किंतु बिना भवन और फर्नीचर के प्रवेश संभव नही है।
ऐसे में हर ब्लॉक में 5 स्कूलों को मॉडल स्कूल का दर्जा देकर छात्र संख्या बढ़ाकर सरकारी स्कूल के प्रति विश्वास बढाने के सरकारी दावों को पोल खुल तब खुल जाती है, जब जीआईसी नैटवाड़ को जरूरत के बाद भी मॉडल स्कूल का दर्जा नही दिया जा सका।
इतना ही नही जीआईसी जखोल में बोर्ड परीक्षा के लिए निर्धारित छात्र संख्या का मानक पूरा न होने के चलते इस बार परीक्षा केंद्र निरस्त हो गया है। जिसके बाद जीआईसी नैटवाड़ पर इसका अतिरिक्त बोझ पड़ना तय है। किंतु 505 छात्र संख्या वाले इस कॉलेज में पहले से ही संसाधनों की कमी है। स्कूल में महज 150 छात्रों के लिए ही बैठने के लिए फर्नीचर की व्यवस्था है।
जीआईसी जखोल में परीक्षा केंद्र निरस्त होने के बाद इस विद्यालय और इसी तरह के अन्य विद्यालयों के छात्रों को परीक्षा देने के लिए जीआईसी नैटवाड़ का ही रुख करना होगा। अब सवाल ये है कि छात्र बैठेंगे कहां ? स्कूल के प्रभारी प्राचार्य पीएल सेमवाल ने बताया कि विगत तीन सप्ताह के बाद आज ही कैम्पस में बीएसएनएल में सिग्नल दिखाई दिए हैं, जिसके बाद तहसील मुख्यालय और जिला मुख्यालय से संपर्क हो पाया है। उन्होंने बताया कि सांसद कोटे से स्कूल को केवल 35 फर्नीचर मिले थे, किंतु 505 छात्र संख्या के लिए ये ऊंट के मुह में जीरे के समान है।
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एक ओर जहां सूबे के सरकारी स्कूल छात्र संख्या का टोटा झेल रहे हैं, वहीं जीआईसी नैटवाड़ में प्रवेश के समय छात्रों की भीड़ उमड़ती है, किंतु सीमित संसाधनों के चलते वे सबको प्रवेश नही दे सकते हैं।
जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 185 किमी दूर नैटवाड़ में स्कूल का मुख्य भवन भी नही बन सका है। जूनियर हाई स्कूल और उच्चीकरण के बाद बने हाई स्कूल के कमरों से किसी तरह काम चलाया जा रहा है। मोरी ब्लॉक में सीमित संसाधनों के बावजूद पूरे ब्लॉक में सबसे अधिक छात्र संख्या नैटवाड़ स्कूल में ही है।
ब्लॉक में मौजूद इंटर कॉलेज पर नजर दौड़ाएं तो एक घाटी में मोरी, गडु गाड़, आराकोट,और तिकोची के जीआईसी है, वहीं दूसरी घाटी में नैटवाड़, डोनी, सांकरी, और जखोल, के इंटर कॉलेज हैं। सवाल ये भी है कि अच्छी छात्र संख्या के बाद भी इस घाटी के किसी भी स्कूल को मॉडल स्कूल का दर्जा नही मिल सका।
दरअसल मॉडल स्कूल का दर्जा इसीलिए दिया जाता है, ताकि छात्रों का सरकारी स्कूल की पढ़ाई में विश्वास पैदा हो सके। इसलिए मॉडल स्कूल को सरकार संसाधन के साथ बेहतर शिक्षक भी उपलब्ध कराती है।
हिमाचल बॉर्डर से लगे इस इलाके के गांव गैंच्वांन गांव, सुचान गांव, हलताडी, दंगण गांव, पैंसर, गुराड़ि, पोखरी, कुनारा, पांसा, नुराणु, और कलाप जैसे गांवों का जिला मुख्यालय भले ही उत्तरकाशी हो, किन्तु इलाके की दुर्गमता के चलते यहां के लोगों को जनपद से संपर्क आसान काम नही है।
अब जहां छात्र पढ़ने के इच्छुक हैं, वहाँ संसाधन नही हैं, वही जहां छात्रों का रुझान प्राइवेट स्कूलों की तरफ है और सरकारी स्कूल खाली पड़े हैं, वहां शिक्षक भी काफी तादाद में है और संसाधन भी।