हरिद्वार में फैले खनन के अवैध कारोबार पर काफी हद तक अंकुश लगाने में कामयाब
कार्यवाही कर पूरी चौकी कर दी सस्पेंड
कुलदीप एस राणा//
उत्तराखंड बीजेपी की सरकार के मंत्रियों के चेहरे की परतें अब धीरे धीरे खुलने लगी हैं । जिलों में तैनात अधिकारियों की ईमानदारी मंत्रियों की कार्यशैली पर भारी पड़ने लगी है। पहले सबिन बंसल और अब हरिद्वार के एसएसपी कृष्ण कुमार इनके निशाने पर है। हरिद्वार खनन बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण हमेशा संवेदनशील रहा है।
सत्तापक्ष हो या विपक्ष यहां हर कोई खनन की मलाई खाने को लालायित रहता है। हरिद्वार पुलिस की कमान कृष्ण कुमार को उस वक्त सौंपी गई जब राज्य में चुनाव आचार संहिता लगी हुई थी और तत्कालीन एसएसपी राजीव स्वरूप को चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता का पालन न करवा पाने का दोषी पाए जाने पर चुनाव पर्यवेक्षक की सिफारिश के आधार पर हटा दिया था। वह हरीश रावत के बेहद करीबी भी माने जाते थे।
तेज तर्रार और ईमानदार पुलिस अधिकारियों में शुमार कृष्ण कुमार चार्ज लेने के बाद से संवेदनशील माने जाने हरिद्वार में विधानसभा चुनाव का सफलता पूर्वक संपन्न करवाने के साथ- साथ हरिद्वार में फैले खनन के अवैध कारोबार पर काफी हद तक अंकुश लगाने में कामयाब रहे।उन्होंने खनन में संलिप्त नेताओं की एक भी नही चलने दी जिससे वह इनके निशाने पर आ गए। हरिद्वार में नेताओ और थाना स्तर की पुलिस का इतना मजबूत गठजोड़ था कि एक बार जब एसएसपी कृष्ण कुमार ने अवैध खनन की सूचना पर संबंधित चौकी इंचार्ज को फोन किया तो उसने इसकी सूचना खनन माफियाओं तक पहुँच दी और जब एसएसपी मय फोर्स वहां पहुचे तो वहां से से सारे खनन करने वाले ट्रैक्टर ट्राली सहित चम्पत हो चुके थे, जिस पर कृष्ण कुमार को शक हुआ और उन्होंने कुछ घंटे बाद प्राइवेट वाहन से दुबारा वहां छापा मारा तो खनन में पुलिस की मिलीभगत का सारा खेल उनके सामने आ गया। इस पर कार्यवाही करते हुए उन्होंने पूरी चौकी ही सस्पेंड कर दी। कृष्ण कुमार की ताबड़तोड़ कार्यवाहियों से नेताओं और खनन माफियाओं के गठजोड़ में खलबली मची हुई हैं। हरिद्वार में कांवड़ यात्रा का दबाव न होता तो उन्हें पहले ही हटा दिया जाता लेकिन अब कांवड़ मेला समाप्त हो चुका है तो सरकार मे नंबर दो माने जाने मंत्री ने कृष्ण कुमार को हटाने के लिए फिर से मुख्यमंत्री पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। जिससे अगले कुछ दिनों में एसएसपी कृष्ण कुमार को हरिद्वार से हटा दिये जाने की पूर्ण संभावना हैं। सूबे में अब ईमानदार और कर्तव्यनिष्ट अफसर पर यही जीरो टोलरेंस है ।