धंधा बंद, दोस्ती पक्की!
उत्तराखंड की डबल इंजन सरकार आने के बाद उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई हुई हैं। सरकार के पास न तो डॉक्टर हैं और न ही अस्पताल चलाने के लिए संसाधन ही। पूर्व सरकार द्वारा संचालित मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। दो बार बंद होने के बाद मुख्यमंत्री के आदेश पर कागजों में भले ही यह योजना चल रही हो, किंतु धरातल पर कुछ और ही है। सरकार द्वारा पौने दो लाख रुपए तक के इलाज का वायदा करने के बाद जिन मरीजों ने सरकार द्वारा सूचीबद्ध अस्पतालों में इलाज करवाया, वे भुगतान के लिए भटक रहे हैं। कई अस्पतालों ने अस्पताल के बाहर पोस्टर लगा दिया है कि मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना का कार्ड लेकर आने वाले मरीजों का नि:शुल्क इलाज नहीं किया जाएगा।
इस बीच विगत एक वर्ष से मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना को न मानने वाले देहरादून के सीएमआई अस्पताल के निदेशक डा. आरके जैन का भारतीय जनता पार्टी नेताओं के साथ एक फोटो वायरल हुआ। डा. जैन का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा उनके अस्पताल के लंबित बिलों का भुगतान न करने के कारण विगत एक वर्ष से उन्होंने सीएमआई अस्पताल में मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना बंद कर रखी है। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के साथ मुलाकात के बारे में ज्ञात हुआ कि उत्तराखंड के कई कारोबारियों के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने २५ करोड़ की चंदा स्कीम में निजी अस्पतालों को भी लपेटे में लिया। डा. जैन भी भाजपा के लपेटे में आ गए और २५ करोड़ रुपए के हवन में एक लाख रुपए का चंदा उन्होंने भी अर्पित कर दिया।
भारतीय जनता पार्टी को लाख रुपए चंदा देने वाले डा. आरके जैन भाजपा के साथ दोस्ती को लेकर भले ही आश्वस्त हों, किंतु उनका स्पष्ट कहना है कि किसी भी सूरत में तब तक मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना को अपने अस्पताल में लागू नहीं करवाएंगे, जब तक सरकार की ओर से पुराने भुगतान के साथ-साथ भविष्य में कायदे से चलाने का आश्वासन न मिले।