सत्ता के और करीब पहुंचा आर.के. गुप्ता
मिर्गी का शर्तिया इलाज करने वाले ऋषिकेश के झोलाछाप डॉक्टर आर.के. गुप्ता इन दिनों भाजपा के कार्यक्रमों में दिखाई देने लगे हैं। नींद की दवाईयां खिलाकर मरीजों को बेसुध कर इलाज का दावा करने वाले आरके गुप्ता फिलहाल जमानत पर हैं। उन पर मिर्गी के नाम पर नकली दवाईयां बेचने से लेकर पुलिस का पहरा तोड़कर भागने से लेकर दर्जनों मुकदमें चल रहे हैं।
आरके गुप्ता ऋषिकेश स्थित नीरज क्लीनिक, जहां मिर्गी का शर्तिया इलाज का दावा किया जाता है, से लेकर सीमा डेंटल कालेज के भी स्वामी हैं। इसके अलावा नीरज होटल सहित सैकड़ों करोड़ की प्रॉपर्टी के स्वामी आरके गुप्ता को पिछले दिनों न्यायालय द्वारा सजा भी सुनाई गई थी। उसके बाद गुप्ता जमानत पर रिहा हो गए।
आरके गुप्ता पहली बार तब कानून के शिकंजे में आए, जब उत्तराखंड के तत्कालीन एक प्रभावशाली व्यक्ति के कहने पर गुप्ता ने अपने डेंटल कालेज में नि:शुल्क एडमिशन नहीं करवाया। उसके बाद गुप्ता पर कानून का ऐसा शिकंजा कसा कि गुप्ता तीन साल तक जमानत भी नहीं करवा पाए। समय ने करवट ली, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई तो आरके गुप्ता पर चल रहे मुकदमों को वापस लेने की फाइल आगे बढ़ी, किंतु इस बात के लीक होने पर तब सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा। कांग्रेस की सरकार गई तो गुप्ता ने भारतीय जनता पार्टी के लोगों के साथ फिर से सांठ-गांठ कर नया रास्ता तलाशना शुरू कर दिया।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के ऋषिकेश दौरों के दौरान कई बार गुप्ता ने त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात करने की कोशिश की, किंतु बात बन नहीं सकी। गुप्ता इस मामले को पूरी गंभीरता से लेना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय के छुटभैयों की बजाय अब डबल इंजन की सरकार में जबर्दस्त दखल रखने वाले भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के माध्यम से सरकार में पैठ बनाने की रणनीति ढूंढ ली है।
विगत दिनों अजय भट्ट से इस संदर्भ में लंबी मुलाकात हो चुकी है। २०१९ के लोकसभा चुनावों से पहले तमाम तरह के प्रलोभनों के बीच फंसी भारतीय जनता पार्टी की सरकार, जो कि अब तक विभिन्न लोगों पर चल रहे दर्जनों मुकदमें वापस ले चुकी है, अब किस प्रकार आरके गुप्ता को कानून के शिकंजे से निजात दिलाती है, यह देखने वाली बात होगी।