भूपत सिंह बिष्ट
त्रिवेंद्र रावत, मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार ने पत्रकारों को नसीहत दी है कि नकारात्मक छवि की खबरें गढ़ने से बचें। त्रिवेंद्र रावत सर्वे चौक, ईसी रोड़ देहरादून स्थित स्टेडियम में उत्तराखंड पत्रकार यूनियन के प्रथम अधिवेशन को सम्बोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोग नकारात्मकता में इतने घिर गए हैं कि वो अब पोजीटिव सोच नही पाते हैं।
त्रिवेंद्र ने समाचारों के प्रस्तुतिकरण पर चिंता जाहिर करते हुए बताया कि नकारात्मक खबरें प्राथमिकता से प्रकाशित नही की जानी चाहिए। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का संस्मरण सुनाते हुए उन्होंने कहा कि कलाम की इजरायल यात्रा के दौरान वहां रात को एक बड़ा विस्फोट हुआ लेकिन समाचार पत्रों ने इस खबर को अगली सुबह सामान्य और अंदर के पन्नों में छापकर अपनी सकारात्मकता जाहिर की।
त्रिवेंद्र रावत ने यह भी कहा कि अगर आपका दिल साफ है तो आप छवि बिगाड़ने वाली खबरों की परवाह नही करते हैं। अटल आयुष्मान योजना को अपना मास्टर स्ट्रोक मानते हुए त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि 23 लाख परिवारों को हेल्थ कार्ड बांटने के बाद उत्तराखंड के सभी एक करोड़ आठ लाख नागरिकों को अटल आयुष्मान योजना के कार्ड देना उनकी प्राथमिकता रहेगी।
त्रिवेंद्र रावत अपनी जीरो टालरेंस वाली सरकार की छवि पर सार्वजनिक मंच से चिंता जाहिर कर रहे थे। मीडिया मैनेजरों के रहते सरकार की छवि प्रभावी नही है – ऐसा निहितार्थ उन के बयान का निकलता हैं। दून हास्पीटल व मेडिकल कालेज में मोमबती की रोशनी में प्रसव कराने की खबर उन्हें रास नही आई लेकिन दून हास्पीटल निरंतर अपनी लापरवाही के लिए जैसे फर्श पर प्रसव या वाशरूम में प्रसव या हास्पीटल में बिजली – पानी की अव्यवस्था को लेकर चर्चाओं में आया है। जीरो टालरेंस में प्रसूति और नवजात के प्राणों की रक्षा के लिये सीएमओ और अन्य अधिकारियों के जवाब – तलब होने चाहिए नाकि मुख्यमंत्री हर लापरवाही के लिए ढाल बनकर बयान जारी करें।
त्रिवेंद्र सरकार का कार्यकाल दो साल की ओर बढ़ रहा है – केदारनाथ धाम में अरबों रूपये के निमार्ण हो चुके हैं लेकिन रामबाड़ा से केदारनाथ के सहज और पुराने मार्ग को अभी तक नही खोला जा सका है। गरूड़चटी से केदारनाथ तक मार्ग बनाने के बाद अभी इस ओर त्रिवेंद्र सरकार को पहल करनी है। यह उपलब्धि शिव भक्तों और त्रिवेंद्र रावत के लिए मील का पत्थर साबित होनी है।
सकारात्मक खबर के नाम पर देहरादून से पंत नगर और पिथौरागढ़ के लिए सस्ती और त्वरित हवाई सेवा शुरू तो हो गई है लेकिन इसकी निरंतरता और दिन में सीमित उड़ान के चलते सरकार की खिचाई ही अधिक हो रही है। एक अनार सौ बीमार कहावत को चरितार्थ करती यह हवाई सेवा पता नही कब तक केदारनाथ यात्रा की तरह बहुतायत यात्रियों को सुलभ होगी।
सरकार की छवि नकारात्मक बन रही है – इन खबरों को सुधार कर ही पोजीटिव छवि बनेगी। शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा से नोक झौंक का मामला अभी तक लटका हुआ है और रोज सोशल मीडिया की चर्चा में निगेटिव बना हुआ है। जबकि एनएच घोटाले के कथित आईएएस अधिकारी निलंबित होकर फिर से ठाट बाट की पोस्टिंग पर आ गए हैं।
अस्थायी राजधानी देहरादून के चरमराते ट्रेफिक और मुंह बाये अतिक्रमण पर सरकार का जीरो टालरेंस अभी तक प्रभावी नही है और कई बार ऐसा लगता है कि सरकार नदी, नालो और सड़कों पर हुए अतिक्रमण को अपना सामाजिक एजैंडा मान रही है और अतिक्रमण हटाने, साफ-सफाई के लिए नागरिकों को हाईकोर्ट की शरण में ही जाना होगा।
देहरादून की रिस्पना या ऋतुपर्णा नदी का जीर्णोद्धार त्रिवेंद्र रावत का ड्रीम प्रोजेक्ट है और लाखों पेड़ लगाने के बाद सबको मालूम है कि नदी में अतिक्रमण हटाये बिना देहरादून को विश्व के पर्यटन मानचित्र में नही लाया जा सकता है। रिस्पना और बिंदाल नदी को पुनः जीवित कर देहरादून के सौंदर्य को लौटाने की पहल के लिए त्रिवेंद्र रावत साधुवाद के पात्र हैं लेकिन इन परियोजनाओं की सतत निगरानी भी जरूरी है।
उत्तराखंड के लिए अटल आयुष्मान अति महत्वाकांक्षी और कल्याणकारी योजना है लेकिन हेल्थकार्ड बांटने से सरकार की छवि नही बनेगी। उत्तराखंड के सरकारी हास्पीटलों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवता और उपलब्धता को साबित करने के लिए अधिकारियों, मंत्रियों और नेताओं को अपना इलाज कराने के लिए यहां आगे आना होगा। अन्यथा मंत्री और अधिकारी दिल्ली के हास्पीटलों में अपने इलाज की तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल कर सरकार की निगेटिव छवि बना रहे हैं।
एक करोड़ लोगों को अटल आयुष्मान योजना का लाभ देने के लिए हास्पीटलों की उपलब्धता भी बढ़ानी है। जबकि श्रीनगर मेडिकल कालेज को सैना के हवाले करने की खबर भी नकारात्मक अहसास कराती है। हेल्थ कार्ड बार – बार बनाने के खर्च को कम करने के लिए इसे आधार कार्ड या वोटर कार्ड से जोड़ा जा सकता है। प्राइवेट हास्पीटलों के साथ हेल्थकार्ड योजना का पहला अनुभव कैसा रहा है ? इस योजना से अरबों का प्रीमियम इंश्योरेंस कम्पनी और प्राइवेट हास्पीटलों के लाभ तक सीमित न रहे और सरकार अपने हास्पीटलों की गुणवता को सुधारने के लिए भी काम करे तो निसंदेह त्रिवेंद्र रावत की छवि भी निखरेगी।
त्रिवेंद्र रावत ने कांग्रेस से दल बदलकर आये पांच मंत्रियों पर तो नकेल कसी हुई है और इन में से अधिकतर अब लोकसभा चुनाव के लिए मन बना रहे है। ऐसी खबरें हैं कि रेखा आर्य, यशपाल आर्य, हरक सिंह रावत और सतपाल महाराज अब संसद में जाना चाहते हैं।
भाजपा प्रदेश संगठन के नेताओं के कारनामों से भी सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा है। जीरो टालरेंस वाली सरकार अपने संगठन के नेताओं पर कानूनी कार्रवाई करके अपनी छवि बना सकती है।