कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड पुलिस अब इतनी बेखौफ हो गई है कि वो किसी भी कलम के सिपाही ‘पत्रकार’ को खुल्लेआम धमकाने से नहीं चूक रही है। पुलिस उप महानिदेशक से शिकायत करने पर उन्होंने हल्द्वानी के सी.ओ.को जांच करने के आदेश जारी कर दिए हैं।
नैनीताल जिले में हल्द्वानी की कोतवाली में बीती 15 अप्रैल को कुछ लोग अपनी समस्या लेकर पहुंचे थे। कुछ पत्रकारों की उपस्थिति में उन्हें मुखानी थाने का मामला बताकर वहां भेज दिया गया था।
समस्या लेकर पहुंचे लोगों में से एक व्यक्ति वहां मौजूद एक वरिष्ठ पत्रकार का जानकार निकला, जिसके बाद, थानाध्यक्ष से बात कर, उन्हें मुखानी थाने में ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी पुनेरा के पास जाने को कहा गया। पीड़ित थाने पहुंचे और शिकायत दर्ज कराकर घर लौट गए। घटना को, जिम्मेदारी से एक प्रमुख दैनिक अखबार में काम करने वाले उक्त वरिष्ठ पत्रकार ने अपने अखबार में छापा।
यह खबर मुखानी थाने के एस.ओ.नंदन सिंह रावत को अच्छी नहीं लगी और उन्होंने पत्रकार को फोन कर बहुत अभद्रता की । उन्होंने पत्रकार को अपशब्द कहने के साथ धमकाते हुए कहा कि “अगर मैं अपनी पर आ गया तो कुछ भी कर सकता हूँ। आप मेरा क्या बिगाड़ सकते हो ?”
पीड़ित वरिष्ठ पत्रकार द्वारा डी.जी.कानून अशोक कुमार और डी.आई.जी.अजय जोशी को जानकारी देते हुए कहा गया है कि “उन्हें ऑफिस से घर जाते हुए न केवल खतरा महसूस हुआ, बल्कि घर के अंदर भी असुरक्षित महसूस कर रहा हूं। वास्तव में अपनी लाइफ में मुझे आज पता चला कि पुलिस का डर क्या होता है !
ऐसे में पुलिस उप महानिदेशक अजय जोशी से जब एक पुलिस वाले की इस गैर जिम्मेदाराना हरकत के बारे में कहा गया तो उन्होंने बताया की मामले की गंभीरता को देखते हुए हल्द्वानी में सर्किल अधिकारी(सी.ओ.)को निष्पक्ष जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
पुलिस की निर्दोषों पर ऐसी दबंगई, जबकि मूल रूप से समस्या लेकर गए पीड़ितों की तहरीर पर अबतक कोई बड़ी कार्यवाही नहीं हुई है । वहां तो दबंगों की दबंगई जारी है । ऐसे में आम जनता का पुलिस के ऊपर से विश्वास उठना स्वाभाविक है । उधर घटना की भनक लगने के बाद पत्रकार संगठन भी न्याय नहीं मिलने पर आंदोलन की तैयारी में जुटे हैं।