भाजपा में सहयोग निधि जुटाने को लेकर तमाम भाजपा नेताओं में विरोध प्रतिरोध के स्वर भी उठने लगे हैं। भारतीय जनता पार्टी ने एक ओर सारी पेमेंट चेक से लेने का फरमान सुनाया है तो दूसरी ओर भाजपा नेता जबरन सहयोग निधि लिए जाने का विरोध कर रहे हैं। अथवा सहयोग निधि को उल्टे सीधे तरीकों से जुटाने की सलाह दे रहे हैं।
भाजपा कार्यकर्ताओं में भी इस बात को लेकर आक्रोश है। भाजपा ने सहयोग निधि जुटाने के लिए हर जिले से टारगेट तय किया हुआ है और मंत्रियों को भी आठ-दस करोड़ रुपए जुटाने का टारगेट मिला हुआ है।
मंत्रियों ने यह टारगेट अपने अधीनस्थ नेताओं को सौंप दिया है, तो अधीनस्थ नेताओं ने टारगेट जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत और पार्षदों को सबलेट कर दिया है। एक तरीके से अघोषित रूप से नेताओं को यह समझा दिया गया है कि यदि पार्षद का टिकट पाना है अथवा कोई अन्य टिकट चाहिए तो इसके लिए अधिक से अधिक सहयोग निधि जुटानी होगी। जो जितनी अधिक सहयोग निधि जुटा रहा है, उसे टिकट पाने का उतना ही अधिक भरोसा जग रहा है।
पीछे रह जाने वाले नेता मानसिक दबाव में जी रहे हैं। रही सही कसर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने यह कहकर पूरी कर दी है कि जो कार्यकर्ता सहयोग निधि नहीं दे सकता, वह पार्टी छोड़कर जा सकता है। अजय भट्ट के बयान से कार्यकर्ताओं में बहुत रोष है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि पार्टी ने सदस्य बनाते समय पहले मिस कॉल देकर सदस्य बनाया, अब सहयोग निधि न देने पर निकालने की धमकी दी जा रही है। देहरादून में ही सहयोग निधि को लेकर आयोजित बैठक में भाजपा विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन ने तो यहां तक सुझाव दे दिया था कि हरिद्वार में अधिकांश ईंट भट्टे मानकों का उल्लंघन कर रहे हैं। यदि मुख्यमंत्री DM को एक फोन कर दे तो सहयोग निधि का टारगेट आराम से पूरा हो सकता है।
हरिद्वार में ही एक अन्य कार्यक्रम में भाजपा नेता बृजभूषण विद्यार्थी ने तो सहयोग निधि को लेकर आयोजित कार्यक्रम में खुलकर कहा कि सहयोग निधि के नाम पर जबरन पैसा वसूला जा रहा है। उन्होंने इसे “जजिया कर” नाम देते हुए कहा कि स्वेच्छा से जो देना चाहे वह दे सकता है, लेकिन जबरन वसूली न की जाए।
भाजपा नेता बृजभूषण ने कहा कि यदि आजीवन सहयोग निधि के लिए शहरी विकास मंत्री सिडकुल से ही कह दें तो वही टारगेट पूरा कर देगा।
जब बैठक में किसी ने उनसे चुटकी ली और कहा कि यदि आजीवन सहयोग निधि नहीं दोगे तो चुनाव कैसे लड़ोगे! टिकट कौन देगा! इस पर उन्होंने तत्काल पलटते हुए कह दिया,-” अगर टिकट देना है तो पैसे तय कर दो, कितने का है! हम दे देते हैं”।
भाजपा नेता ने थोपी गई सहयोग निधि देने में असमर्थता जाहिर करते हुए कहा,-” प्रॉपर्टी का बिजनेस बिल्कुल जीरो हो गया है। रोज कुआं खोदना रोज पानी पियो वाले हालात हो गए हैं। ऐसे में चंदा देने के लिए टारगेट ना बनाया जाए जितना हो सकेगा दिया जाएगा”।
न्यूज़ 129 डॉट कॉम ने यह खबर दिखाई तो भाजपा नेता पर दबाव बढ़ गया और भाजपा नेता ने लिखित में अपना बयान वापस भी ले लिया।
एक ओर भाजपा के दिग्गज नेताओं को टारगेट पूरा करने में पसीने छूट रहे हैं तो वहीं देहरादून की एक पार्षद अमिता सिंह ने दिए हुए टारगेट 5 लाख से कहीं आगे 12 लाख रुपए चेक से जुटा लिए हैं और अब उनका लक्ष्य 15 लाख रुपए जुटाना है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट का कहना है कि 50% लक्ष्य पूरा हो चुका है और दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि 11 फरवरी को इस धन की FD बनाकर केंद्रीय पदाधिकारियों को सौंप दिया जाएगा।
गौरतलब है कि पार्टी ने पूरे प्रदेश भर से 25 करोड रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है। लक्ष्य पूरा ना होने पर पार्टी समय को 26 फरवरी तक बढ़ा सकती है।
बहरहाल जिस तरह का टारगेट भाजपा नेताओं को मिला है, उसे पूरा करने में नेताओं के पसीने छूट रहे हैं और ऐसा लगता है कि निकट भविष्य में इस पर रार बढ़नी तय है।