ग्रामीण खेल प्रतिभाओं को उभारने के दावे फुस्स।समाचार पत्र की हैडलाइन में स्कूटी के विजेता बने धावक। पहाड़ नहीं चढ़ सकी स्कूटी।
गिरीश गैरोला
ग्रामीण क्षेत्र खेल प्रतिभाओं को उभार कर मंच प्रदान करने की सरकारी प्रयास धुंधले होते दिखाई दे रहे हैं । युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों से चुनी हुई प्रतिभाओं को 800 मीटर दौड़ के माध्यम से राज्य स्तर पर पहचान दिलाने के उद्देश्य से की गई प्रतियोगिता संपन्न हो गई है किंतु पारितोषिक के नाम पर दी जाने वाली स्कूटी अभी तक पहाड़ नहीं चढ़ सकी।
उत्तरकाशी जनपद के डुंडा निवासी संदीप गुसाईं ने बताया वह बिना कोच और संसाधन के प्रतिदिन 20 किलोमीटर दौड़ कर एक अच्छा धावक बनने का सपना देख रहा है , और अपने सपने को पूर्ण करने के लिए उसने खुद को विभिन्न मौकों पर साबित भी किया है, जिसमें भारत तिब्बत सीमा पुलिस द्वारा आयोजित 7 किलोमीटर की मैराथन दौड़ में 19 मिनट का समय लेकर प्रथम स्थान प्राप्त किया। क्रॉस कंट्री विनर बना और अपने जनपद उत्तरकाशी का भी चैंपियन बना। इसके साथ ही युवा कल्याण विभाग द्वारा आयोजित की गई 800 मीटर दौड़ मे भी प्रथम स्थान प्राप्त किया।
इस आयोजन का प्रचार-प्रसार समाचार पत्रों के माध्यम से खूब जमकर हुआ था। मुख्य अतिथि द्वारा उन्हें प्रमाण पत्र भी दिए गए किंतु इनाम के तौर पर जो स्कूटी दी जानी थी। वह आज तक सड़क पर नहीं दौड़ सकी, जिसका धावक संदीप गुसाईं को मलाल है।संदीप की माने तो वह सीमित संसाधन में बिना मैदान के रेणुका मंदिर के आसपास दौड़ का अभ्यास करता है और चाहता है कि जनपद के बाद राज्य स्तर पर और उसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए नाम कर सकूं किन्तु खेलो के प्रति सरकार की नीयत देखकर उसे देखकर वह आहत हुआ है।
इस संबंध में प्रांतीय रक्षक दल युवा कल्याण अधिकारी विजय प्रताप भंडारी ने कहा कि अभी पारितोषिक के तौर पर स्कूटी नहीं मिल पाई है। संभवतया स्कूटी की कीमत के बराबर की धनराशि का ड्राफ्ट विजेता प्रतिभागियों को दिए जाने की सूचना मिल रही है ।
गौरतलब है राज्य सरकार ने Hero कंपनी के साथ मिलकर इस दौड़ का आयोजन किया था और इसी के एवज में जीतने वाले प्रतिभागियों को स्कूटी दी जानी थी।