कुमार दुष्यंत/हरिद्वार
यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो अगले वर्ष से उत्तराखंड के चारधामों की यात्रा भी अमरनाथ यात्रा की तरह छड़ी मुबारक से शुरू होगी। अखाड़ा परिषद् ने सरकार को इसका प्रस्ताव भेजा है, क्योंकि पहले भी यहां इस तरह यात्रा होती रही हैं।इसलिए संतों को उम्मीद है कि शासन द्वारा इसकी मंजूरी में कोई अवरोध नहीं आएगा।
अमरनाथ में संतों का प्रतिष्ठित जूना अखाड़ा अमरनाथ यात्रा की अगुवाई करता है। जूना अखाड़ा के महंत व राष्ट्रीय अखाड़ा परिषद् के महामंत्री स्वामी हरिगिरी ने इसी तर्ज पर उत्तराखंड की चारधाम यात्राओं का नेतृत्व जूना अखाड़े को सौंपने की मांग सरकार से की है।
संतों ने तर्क दिया है कि पहले भी चारधामों की पैदल यात्रा इसी तर्ज पर की जाती थी, जो कुमाऊं से आरंभ होकर हरिद्वार सहित विभिन्न तीर्थों से होते हुए चारधाम की यात्रा के साथ तीन माह में सम्पन्न होती थी। इस पैदल यात्रा में अनेक स्थानों पर यात्रियों के लिए विश्रामालय भी बनाए गये थे। जिन्हें विभिन्न चट्टियों के नाम से जाना जाता था। इनमें गरुड़चट्टी, व्यासचट्टी व हनुमानचट्टी अब भी मौजूद है, लेकिन वाहन व सड़क सुविधाएं बढऩे के बाद चारधाम की पैदल यात्रा लोप हो गई। संतों की मांग है कि सरकार पैदल यात्रा के ध्वस्त हो चुके मार्ग को ठीक करा दें तो संत पूर्व की भांति आगामी चारधाम पैदल यात्रा का छड़ी मुबारक के साथ नेतृत्व करने को तैयार हैं।
संतों का यह भी तर्क है कि चारधाम पैदल यात्रा शुरू हो जाने से यह यात्रा भी अमरनाथ यात्रा की भांति प्रसिद्ध होगी। जिससे धार्मिक पर्यटन में वृद्धि होगी व सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा।