नीरज उत्तराखंडी
पुरोला में सिंचाई विभाग का कारनामा
पुरोला नहर में विगत कई वर्षों से कब्जा कर अतिक्रमणकारियो ने बनाये बहुमंजिले भवन
विभाग ने साधा मौन
विभाग व ठेकेदारों के लिए नहर बनी कामधेनु
उत्तरकाशी जिले के पुरोला मे सिंचाई विभाग ने विगत 5 वर्ष में एक नहर के अनुरक्षण व निर्माण पर खर्च किये 20 लाख। जबकि नहर का टैल गायब है । नहर किसानों के खेत तो नहीं सींच पा रही, ठेकेदार व विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों की जेब जरूर हरी कर रही है । नहर फाइलों में ही किसानों के खेत हरा भरा बना रही हैं।
सूचना अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के मुताबिक पुरोला नहर में सिंचाई निर्माण खण्ड पुरोला ने वर्ष 2012 से अब तक इस नहर के अनुरक्षण और पुनर्निर्माण पर 20 लाख रूपये की विशाल धनराशि को खर्च होना दिखाया गया है । लेकिन सवाल उठता है कि जब नहर पर अतिक्रमण कर आवासीय भवन बनाकर नहर का अस्तित्व ही समाप्त कर दिया गया है। जब नहर का टैल ही गायब है तो किसका निर्माण या पुनर्निर्माण किया गया !
विभाग ने अतिक्रमण करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई के जबाब में लिखा है कि कब्जा करने वालों के विरुद्ध कोर्ट में वाद दायर किया गया है लेकिन विभाग की तरफ से न्यायालय में जिस सहायक अभियंता द्वितीय को पक्षकार बनाया बताया गया है, उसका विभाग के पास कोई उल्लेख नहीं है। जिससे यह साबित होता है कि विभाग ने मुकदमे की ठीक से पैरवी न कर अतिक्रमण करने वालों के साथ मिलीभत की है। वहीं ठेकेदार व विभागीय अधिकारियों के लिए यह नहर कामधेनु बन गयी है।
सामाजिक कार्यकर्ता व आरटीआइ एक्टीविस्ट गजेन्द्र चौहान का कहना है कि इस नहर में भारी अनियमितता व अतिक्रमण की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।उन्होंने दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।