उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे शिक्षा विभाग लेकर इस कदर उलझ गए हैं कि उन्हें बाहर निकलने का रास्ता ही नहीं मिल पा रहा। इससे पहले कि वे शिक्षा के स्तर को दुरुस्त करने का प्रयास करते, भाजपा नेताओं के साथ-साथ उनकी विधानसभा के लोगों ने भी पांडे से बहुत उम्मीदें पालनी शुरू कर दी।
उत्तराखंड सरकार पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूड़ी द्वारा बनाए गए तबादला कानून को पुन: अमल में लाने की बात तो कर रही है, किंतु उसे अमलीजामा पहनाने में अभी देर है। इस बीच अरविंद पांडे ने भारी दबाव में कुछ अटैचमेंट किए और उसके बाद बीमार, विधवा और तलाकशुदा लोगों के लिए जो ट्रांसफर एक्ट में व्यवस्था थी, उस पर थोड़ी सी ढील देने की कोशिश की। इससे पहले कि पांडे कुछ समझ पाते, शिक्षकों ने फर्जी मेडिकल प्रमाण पत्र बनाने से लेकर तलाक के कागज तक शिक्षा मंत्री तक पहुंचा दिए।
इस बीच एक चुगलखोर मास्टरनी ने पड़ोसन की शिकायत कर दी कि ये रात-दिन पति के साथ घूम रही है, खा-पी रही है और इसने तलाक का झूठा प्रमाण पत्र मंत्री दफ्तर में जमा किया हुआ है। फर्जी तलाक की बात सुनकर मंत्री का माथा ठनका। थोड़ी जांच-पड़ताल की तो पता चला कि शिक्षकों ने अपने परिजनों के फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र तक दुर्गम से सुगम में आने के लिए बनाए हुए हैं।
अरविंद पांडे पहले ऐसे शिक्षा मंत्री हैं, जो स्वयं अपने विभाग में रिश्वतखोरी की पुष्टि कर रहे हैं और स्वयं कह रहे हैं कि उन्होंने रिश्वतखोर अधिकारियों को पदों से हटा दिया है। रिश्वत लेना व देना दोनों अपराध हैं। रिश्वतखोरी की पुष्टि के बाद शिक्षा मंत्री द्वारा सिर्फ दोषियों को पद से हटा देना मात्र ही इसका समाधान नहीं है।
शिक्षा विभाग में तबादला उद्योग पहले दिन से ही चल रहा है और जिन शिक्षकों को उत्तराखंड का भविष्य उज्जवल करने की जिम्मेदारी दे रखी है, वे झूठे प्रमाण पत्र देकर शिक्षा विभाग की वास्तविकता को जनता के सामने ला रहे हैं।
ये प्रकरण पहली बार नहीं। पिछली बार जब भाजपा की सरकार बनी तो एक शिक्षक शिक्षा मंत्री के पास पहुंचे और उन्होंने मंत्री जी से अनुरोध किया कि उनकी शिक्षिका पत्नी को मैदान से पहाड़ में शिक्षण कार्य के लिए स्थानांतरित किया जाए। शिक्षक की ये बात सुनकर मंत्री जी ने शिक्षक के पैर पकड़ लिए कि काश आप जैसा ही हर शिक्षक पहाड़ के बारे में सोच पाता।
मंत्री द्वारा दी गई तवज्जो के बाद मास्टर जी ने खुलासा भी कर दिया कि वो पहाड़ के प्रति प्रेम के चक्कर में नहीं, बल्कि पत्नी का साथ वाले शिक्षक के साथ बढ़ता प्रेम प्रसंग इसका मूल कारण है। जिस प्रदेश में शिक्षकों के इस तरह के वाकये सामने आ रहे हों, वहां प्राइवेट स्कूल नहीं पनपेंगे तो क्या होगा!