गंगोरी पुल हादसे की जांच भी सवालों में।
जांच कमेटी के आने से पूर्व ही खोल दिया पुल।
हादसे का शिकार हुए गंगोरी पुल के लिए बनी थी जांच कमेटी
कमेटी में शामिल सदस्यों को ही नही है कमेटी में शामिल होने की जानकारी।
दोषी विभाग के अधिकारी भी जांच कमेटी में।
गिरीश गैरोला
राष्ट्रीय राजमार्ग पर बार-बार हो रहे पुल हादसों के बाद भले ही डीएम उत्तरकाशी ने हादसे के कारणों की जांच के लिए एक कमेटी बना दी हो किन्तु निर्माण में घटिया गुणवत्ता के आरोप झेल रहे बीआरओ के अधिकारियों ने जांच कमेटी के आने से पहले ही पुल को खोलना शुरू कर दिया है।
अब सवाल यह है कि जांच कमेटी पुल के खुल जाने के बाद किस बात की जांच कर रिपोर्ट देने देगी !
क्या हर बार की तरह मामला ठंडा होते ही जांच रिपोर्ट रद्दी में डालने की तैयारी है?
चीन सीमा को जाने वाला एकमात्र गंगोरी पुल रविवार को तीसरी बार ध्वस्त हो गया था। इसके बाद स्थानीय लोगों के साथ कांग्रेस पार्टी के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए डीएम ने जांच कमेटी गठित कर एक सप्ताह में पुल टूटने के कारणों की रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे।
डीएम उत्तरकाशी आशीष कुमार चौहान ने बताया कि एडीएम पीएल शाह के नेतृत्व में पुलिस कप्तान, एस ई ( लोक निर्माण विभाग), बीआरओ के सीओ, और ए आर टी ओ को मिलाकर एक जांच कमेटी एक सप्ताह के अंदर पुल के टूटने के कारणों की जांच कर उन्हें रिपोर्ट देगी।
जांच कमेटी में शामिल पहले अधिकारी खुद बीआरओ के ही कमांडर सुनील श्रीवास्तव हैं, जिनसे अपने ही विभाग के खिलाफ रिपोर्ट देने की उम्मीद करना बेमानी होगा।
दूसरे सदस्य लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता एसके राय ने बताया कि वह विभागीय कार्य से जिले से बाहर हैं। किंतु उन्होंने माना कि विवादित पुल को खोलने से पूर्व जांच समिति को वैली ब्रिज में पिन की पोजिशन और बेयरिंग की जांच कर लेनी चाहिए थी।
जांच कमेटी के अगले सदस्य प्रभारी arto प्रवीण कुमार ने बताया कि उन्हें न तो फोन से और न ही लिखित पत्र से किसी जांच कमेटी में शामिल होने की जानकारी दी गयी है। उन्होंने कहा कि arto चक्रपाणी मिश्रा ट्रेनिंग के लिए बाहर गए हैं, लिहाजा उनकी गैरमौजूदगी में खुद वे जो R I के पद पर तैनात हैं, को ही arto की जिम्मेदारी संभालने के निर्देश हैं। उन्होंने बताया कि जिले में कोई भी वाहन 16200 किलोग्राम से अधिक भार ले जाने के लिए पंजीकृत नही है। बीआरओ द्वारा गीली रेत से ट्रक ओवरलोड होने के आरोप पर उन्होंने बताया कि धर्म कांटे की पर्ची से इस बात की पुष्टि की जा सकती है। यदि निर्धारित भार क्षमता से अधिक भार लेकर ट्रक रेत बजरी का ट्रांसपोर्ट कर रहे हैं तो कई एजेंसियों पर सवाल उठने लाजमी हैं। उन्होंने जिला प्रशासन को सलाह दी है कि प्रमुख मार्गों पर धर्म कांटा और पुलिस पोस्ट के बिना ओवरलोड पर कंट्रोल संभव नही है।
गौरतलब है कि जांच टीम के मौके पर पहुंचने से पहले ही सीमा सड़क संगठन के अधिकारियों ने पुल को खोलना शुरू कर दिया है। स्थानीय निवासी राजवीर सिंह रावत ने बताया कि हर बार की तरह इस बार भी सीमा सड़क संगठन के अधिकारी पुल ध्वस्त होने के मामले को लेकर ट्रक चालक को ही दोषी करार देने की तैयारी में लगे हैं। मौके पर रेत से भरे ट्रक को पुल से निकालने के बाद बीआरओ के अधिकारियों ने सड़क पर अपना JCB खड़ा कर उक्त ट्रक को नाप जोख की जांच के बाद छोड़ने की बात कही किंतु स्थानीय लोगों की बीआरओ से नाराजगी और मीडिया की मौजूदगी को देखते हुए बीआरओ फिर बैक फुट पर आ गया और ट्रक को जाने दिया।
मौके पर मौजूद कांग्रेस के पूर्व गंगोत्री विधायक विजयपाल सजवाण ने बीआरओ की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए जांच समिति के सामने ही पुल को खोलने की मांग की। उन्होंने कहा कि बीआरओ द्वारा ट्रक को जांच के लिए रोकना गलत है। ट्रक की नाप-जोख उसके मॉडल के अनुसार की जा सकती है। “अपनी खामियों को छिपाने के लिए दूसरे लोगों के सर दोष मढ़ देना अनुचित है।”
सीमा सड़क संगठन बीआरओ के कमांडर सुनील श्रीवास्तव ने मीडिया को बताया था कि गंगोरी पुल हादसा इस बार भी ओवरलोड के चलते हुआ। उन्होंने बताया कि ट्रक चालक द्वारा गीली रेत भरकर ले जाया जा रहा था और अचानक ब्रेक लगाने के चलते इम्पेक्ट लोड बढ़ जाने के होने के कारण हादसा हुआ है।
बताते चलें कि गंगोरी पुल 18 टन भार क्षमता के लिए बनाया गया था। पूर्व में दो वियर बनाया गया वैली ब्रिज इस बार 3 वियर में बनाए जाने की तैयारी बीआरओ द्वारा की जा रही है। जिसमें एक महीने का समय लगना बताया गया है। बड़ा सवाल यह भी है कि पुल निर्माण के दौरान भार क्षमता के लिए 3 से 5 गुना फैक्टर ऑफ सेफ्टी लेकर पुल डिजाइन किया जाता है, किंतु एक ट्रक मात्र के भार से ब्रिज का ध्वस्त होना अपने आप में कई सवाल पैदा करता है। जिस के कारणों की जांच के लिए बनी कमेटी की जांच पर भी अब सवाल उठ खड़े हो गए हैं।