गिरीश गैरोला
चीन सीमा को जोड़ने वाले गंगोरी पुल के टूटने के बाद कांग्रेस ने सरकार पर हमले शुरु कर दिए हैं। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप भट्ट ने डबल इंजन सरकार पर चुटकी लेते हुए कहा कि राज्य और केंद्र के बीच का पुल भी गायब दिख रहा है। उत्तरकाशी जनपद से लगे चीन सीमा की सरकार उपेक्षा कर रही है। डी एम आशीष कुमार और एसपी ददनपाल की सजगता और मौके पर खड़े रहने के बाद वैकल्पिक सड़क भले ही तैयार हो गयी हो किन्तु अब गंगोरी में अस्थायी नही बल्कि स्थायी पुल बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीमा की तरफ जाने वाली सड़क पर गंगोरी से आगे भी काम चल रहा है और वहां भी बफ मशीन ले जाना जरूरी है, जिसके लिए पक्के पुल बनाये जाने जरूरी हैं। इसके साथ ही पुराने पुलों के नट बोल्ट भी समय पर चेक किये जाने जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि यदि यही हादसा यात्रा सीजन में होता तो यहां की आर्थिकी ही चौपट हो जाती ।
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप भट्ट ने बीआरओ द्वारा किये जाने वाले कार्यो की महीनेवार समीक्षा किये जाने की जरूरत बताई है। मामले पर भट्ट ने पत्रकार वार्ता में बताया कि केन्द्र की मोदी सरकार भाषणों में मस्त है जहां एक तरफ भारत और चीन के सामने तनाव जैसी स्थितियां रहती है वहीं सीमा पर बने पुल गिर जा रहे हैं। भट्ट ने कहा कि जो डबल इंजन केद्र और राज्य के बीच में लगा है वह आखिर क्यों काम नहीं कर रहा?
सीमा सुरक्षा पर भट्ट ने कहा की पीएम मोदी जुमलों की जगह यदि सीमा पर आवागमन के साधन सही कर दें तो वहीं सबसे बडी़ बात है।
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता ने मामले को गंभीर बताया और जिलाधिकारी सहीत जिला पुलिस अधिक्षक की सरहाना की कि प्रशासन के गम्भीरता से चंद समय में वैकल्पिक व्यवस्था शुरू हुई।
यह मामला गंगोत्री मार्ग पर बने गंगोरी वैकल्पिक पुल की जो २०१२/१३ की दैविक आपदा में बना था तब से आजतक सड़क सीमा का आरसीसी का पुल नहीं बन सका।
अब भाजपा कांग्रेस चाहे मामले का राजनीतिकरण कर ले लेकिन सवाल गंम्भीर है कि दोनो दलों ने पांच साल तक चुप्पी क्यों नहीं तोड़ी?
अब मामला मजिस्ट्रेटी जांच का है कि आखिर मामले का सही प्रकरण क्या है?
सीमा सुरक्षा पर भट्ट ने कहा की पीएम मोदी जुमलों की जगह यदि सीमा पर आवागमन के साधन सही कर दें तो वहीं सबसे बडी़ बात है।
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता ने मामले को गंभीर बताया और जिलाधिकारी सहीत जिला पुलिस अधिक्षक की सरहाना की कि प्रशासन के गम्भीरता से चंद समय में वैकल्पिक व्यवस्था शुरू हुई।
यह मामला गंगोत्री मार्ग पर बने गंगोरी वैकल्पिक पुल की जो २०१२/१३ की दैविक आपदा में बना था तब से आजतक सड़क सीमा का आरसीसी का पुल नहीं बन सका।
अब भाजपा कांग्रेस चाहे मामले का राजनीतिकरण कर ले लेकिन सवाल गंम्भीर है कि दोनो दलों ने पांच साल तक चुप्पी क्यों नहीं तोड़ी?
अब मामला मजिस्ट्रेटी जांच का है कि आखिर मामले का सही प्रकरण क्या है?