निकाय चुनाव 2018 में मसूरी से भाजपा विधायक गणेश जोशी की साख पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। इस बार नगरपालिका में अध्यक्ष पद पर निर्दलीय अनुज गुप्ता 167 मतों से विजयी हुए। इसके अलावा सभासद के 13 वार्डों में से 9 निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की, जबकि ४ वार्डों पर कांग्रेस की जीत हुई। इस तरह नगरपालिका में भारतीय जनता पार्टी की झोली यहां से खाली ही रह गई।
अनुज गुप्ता इससे पहले कांग्रेस के सभासद रहे हैं और मसूरी नगरपालिका में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर कांग्रेस पार्टी के ही पालिका सभासद मनमोहन सिंह मल्ल के खिलाफ पूरे कार्यकाल में काफी मुखर रहे। एक तरह से मसूरी नगरपालिका का पूरा कार्यकाल पालिका अध्यक्ष बनाम् अनुज गुप्ता बना रहा। उन्होंने मसूरी की बस सेवाओं को बंद होने से लेकर नगरपालिका का पैसा व्यक्तिगत हितों में खर्च किए जाने के खिलाफ काफी सवाल उठाए। यहां तक कि जुलाई 2016 में मसूरी बोर्ड बैठक का एजेंडा तक जला डाला। यही नहीं अनुज गुप्ता ने पालिका में होर्डिंग घोटाला, आवास घोटाले की जांच सीबीआई से कराने के लिए भी आंदोलन किया। अपनी ही पार्टी के अध्यक्ष के खिलाफ इस तरह की मुखरता के कारण जनता में वह अपनी एक अलग जगह बनाने में कामयाब रहे। अब जब अनुज गुप्ता खुद पालिका अध्यक्ष बन गए हैं तो उन पर जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की भी बड़ी जिम्मेदारी आ गई है।
दरअसल मसूरी में भारतीय जनता पार्टी का सूपड़ा साफ होने का एक बड़ा कारण यह भी है रहा कि भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों से ही इस चुनाव में बगावत हुई और इसका भी भाजपा को ही नुकसान झेलना पड़ा। इसके अलावा पार्टी के भीतर विश्वास और कार्यकर्ताओं के साथ तालमेल की भारी कमी देखी गई। मंडल अध्यक्ष तक पर विश्वास न कर पाने का ही नतीजा रहा कि पार्टी आज शून्य पर आकर ठहर गई। भाजपा कार्यकर्ताओं का अति उत्साह से लवरेज होना भी नतीजा उनके खिलाफ आया। इसके अलावा मैनेमेंट में भी चूक हुई, जिसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा।
वहीं क्षेत्रीय युवा इस चुनाव में बदलाव चाहता था। उनका तर्क था कि जनता से किए गए वायदों पर उनका प्रतिनिधि खरा नहीं उतर पाए। हॉस्पिटल, पार्किंग व रोजगार जैसी समस्या भी बेहतर नहीं हो पाई। इन तमाम स्थानीय समीकरणों के साथ इस चुनाव में मसूरी विधायक का जादू नहीं चल पाया और भाजपा चारों खाने चित हो गई।
श्री जोशी अपनी दबंगता के लिए प्रदेशभर में खासी पहचान रखते हैं। बावजूद इसके इस चुनाव में पार्टी के लिए एक भी प्रत्याशी न जिता पाना उनकी लोकप्रियता पर भी सवाल खड़ा करता है। जोशी पर आचार संहिता में छठ पूजा के अवसर पर महिलाओं को नोट बांटने के आरोप भी लगे, लेकिन उन्होंने बहिनों द्वारा टीका किए जाने के बाद उन्हें दक्षिणा देने की बात कहकर बात उन पर लगे आरोप बेबुनियाद बताए। उन पर पार्टी की भी बड़ी उम्मीदें थी कि वह मसूरी नगरपालिका में नैय्या पार लगा सकते हैं, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
कुल मिलाकर मसूरी नगरपालिका की हार का सर्वाधिक असर स्थानीय विधायक गणेश जोशी पर ही पड़ेगा। इस तरह अभी से आगामी लोकसभा चुनाव के लिए उनके समक्ष बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।