डबल इंजन की सरकार ने उत्तराखंड में कर्मचारियों की कार्य संस्कृति सुधारने के लिए कई ऐलान किए। इनमें से कर्मचारियों और शिक्षकों को तय समय पर कार्यालय पहुंचने और तय समय पर छुट्टी करने के लिए बायोमेट्रिक मशीन लगाने का प्रावधान किया गया। हो भी क्यों नहीं, जो कर्मचारी भारी भरकम वेतन लेता हो, उससे काम तो लिया ही जाना चाहिए। सचिवालय के कई स्थानों पर इस प्रकार की बायोमेट्रिक मशीन लगा दी गई।
देहरादून के सबसे पॉश इलाकों में से एक उत्तराखंड सरकार के मंत्रियों के निवास वाली यमुना कालोनी के आसपास भी बहुत सारे ऐसे विभाग हैं, जहां कर्मचारियों की कामचोरियों पर खूब लिखा-पढ़ा जाता रहा है। यहां अधिकांश कर्मचारी ताश खेलते, बीड़ी पीते, गप्पें मारते बहुत आसानी से देखे जा सकते हैं।
ऐसे ही सिंचाई विभाग के अनुसंधान एवं नियोजन खण्ड में भी कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय करने के लिए बायोमेट्रिक मशीन लगा दी गई। इस खण्ड में लगभग १५० कार्मिक हैं। चूंकि इन्हें पहले से ही कामचोरी की आदत पड़ी हुई है तो इन्होंने भी तत्काल बायोमेट्रिक का तोड़ निकाल दिया है। इस खण्ड के अधिकांश कर्मचारी सुबह १० बजे बायोमेट्रिक पर अंगूठा लगाकर चले जाते हैं। कुछ लंच के बहाने चले जाते हैं और फिर शाम को ५ बजे के आसपास एक बार फिर अंगूठा लगाकर सरकारी व्यवस्था को ठेंगा दिखाने का काम करते हैं। देखना है कि उत्तराखंड का डबल इंजन इन कामचोर कार्मिकों से कितनी जल्दी दक्षता प्रमाण पत्र लेकर इन्हें कब घर भेजने का काम करता है।