चीन सीमा से जुड़े गंगोरी पुल हादसे को लेकर जनता से मांगी माफी।
डीएम के शरणागत हुए कमांडर सुनील श्रीवास्तव।
गंगोरी पुल के बार -बार टूटने से नाराज स्थानीय लोगों ने बीआरओ के खिलाफ की थी नारेबाजी।
गिरीश गैरोला।
उत्तरकाशी जनपद से लगी चीन सीमा को जोड़ने वाले गंगोरी पुल हादसे के बाद डीएम ने द्वारा गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट आने से पूर्व ही बीआरओ के कमांडर सुनील श्रीवास्तव ने डीएम उत्तरकाशी डॉ आशीष चौहान की शरण मे जाकर शीश झुकाते हुए जनता से पुल हादसे के बाद होने वाली परेशानी के लिए हाथ जोड़कर माफी मांगी है।
अपने बयान में डीएम उत्तरकाशी के सहयोग की भूरी भूरी प्रंशसा करते हुए कमांडर ने कहा कि वैली ब्रिज बनने तक नदी के ऊपर से बनाये गए अस्थायी मार्ग पर आईएएस आशीष चौहान खुद एक टिप्पर के ऊपर बैठ कर रिस्क लेकर पार तक गए थे । उन्होंने कहा कि ऐसा डीएम उन्होंने जिंदगी भर नही देखा। कमांडर ने भरोसा दिलाया कि इस बार डबल वे के स्थान पर ट्रिपल वे रेन्फोर्समेंट देकर पुल निर्मित किया जाएगा ताकि ऐसा हादसा फिर से न हो।
गौरतलब है कि गंगोरी में निर्माणाधीन स्थायी पुल वर्ष 2008 में उद्घाटन से पूर्व ही ध्वस्त हो गया था। उसके बाद वहां बना हुआ वैकल्पिक वैली ब्रिज वर्ष 2012-13 में बाढ़ की भेंट चढ गया था। एक बार फिर यह वैली ब्रिज बनाया गया जो दिसंबर से पूर्व में फिर से ध्वस्त हो गया था। तब दो ट्रक के भार से पुल का टूटना बताया गया था। किंतु इस बार एक अकेले ट्रक के भर से पुल धराशायी हो गया था। गंगोरी पुल के पिछली बार ध्वस्त होने के समय भी यही कमांडर तैनात थे।
इतना ही नही गंगोत्री मंदिर कपाट बंद होते समय भी गंगनानी के पास सड़क बन्द हो जाने के घंटों बाद भी न तो अधिकारी मौके पर पहुंचे थे और न मशीनरी। लिहाजा कपाट बंद होने के मुहर्त पर न तो प्रशासनिक अधिकारी समय पर पहुंच सके और न मीडिया। उस वक्त भी बीआरओ कमांडर को स्थानीय लोगों के साथ मंदिर समिति के कोप का भाजन बनना पड़ा था, किंतु बीआरओ के अधिकारियों ने उस घटना से कोई सबक नही लिया था।
अब देखना है कि जांच रिपोर्ट के बाद डीएम उत्तरकाशी डॉ. आशीष चौहान इस माफीनामा पर अपने ऑटोग्राफ देते हैं या कुछ और।