भारतीय जनता पार्टी निकाय चुनाव में न सिर्फ जोश-खरोश के साथ उतरने के लिए तैयारी में लगी है, बल्कि उसकी मंशा है कि इस बार सभी नगर पालिका, नगर पंचायतों व नगर निगमों में वार्ड मैंबर से लेकर पार्षद और अध्यक्षों के चुनाव कमल फूल के निशान पर लड़े जाएं, ताकि मतदाता प्रत्याशी की बजाय मोदी के नाम पर वोट दे देें।
डबल इंजन की सरकार का यह पहला चुनाव है। डबल इंजन की सरकार बनने के बाद होने जा रहे पहले चुनावों की तैयारी के बीच सबसे रोचक मुकाबला भाजपाइयों की आपसी सिर फुटव्वल का है।
देहरादून नगर निगम के मेयर पद के लिए तो कई प्रकार की तलवारें म्यानों से बाहर लहरा रही हैं। धर्मपुर विधानसभा से टिकट न मिलने पर तब भाजपा नेता उमेश अग्रवाल को भविष्य में मेयर का टिकट देने का वायदा किया गया था।
इस बीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के मंचों पर विराजमान सुनील उनियाल गामा का कहना है कि टिकट तो उन्हें ही मिलेगा, क्योंकि मुख्यमंत्री की विधानसभा डोईवाला के 40 हजार से अधिक मतदाता अब नगर निगम देहरादून का हिस्सा हैं और इस सीट पर मुख्यमंत्री उन्हें ही टिकट दिलाएंगे।
लंबे समय से प्रचार-प्रसार में लगे उमेश अग्रवाल के दावे के बीच जो नया दावा भाजपा नेता अनिल गोयल ने पेश किया है, वह चौंकाने वाला है। अनिल गोयल दो बार राज्यसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। पहली बार प्रदीप टम्टा के विरुद्ध और दूसरी बार राजबब्बर के विरुद्ध, किंतु भाजपा को छोड़कर एक भी वोट जुटाने में वे तब सफल नहीं हो सके, जबकि बसपा व निर्दलीय सहित कुल 7 विधायक भाजपा-कांग्रेस को छोड़कर थे।
अनिल गोयल का कहना है कि राज्यसभा का सांसद समाज की क्या सेवा कर सकता है, यह तो उन्हें नहीं मालूम, किंतु देहरादून का मेयर वास्तव में जमीनी काम कर सकता है। अनिल गोयल के इस वक्तव्य के बाद ऐसा लगता है कि शायद इसी कारण किसी दूसरे विधायक ने अनिल गोयल को वोट नहीं दिए होंगे।
बहरहाल, दो बार राज्यसभा चुनाव लडऩे के बाद अब देहरादून के मेयर पद की दावदारी करने वाले व्यापारी नेता अनिल गोयल के लिए भाजपा के लोग कहने लगे हैं कि अनिल गोयल ने जीवन में भले ही बड़े-बड़े टिकट लाकर अपनी ताकत जरूर दिखाई हो, किंतु जीत उन्हें कभी नसीब नहीं हुई और यही हालत रहेे तो उनकी हालत ‘आधी छोड़ पूरी को जावे, आधी मिले न पूरी पावे’ वाली हो जाएगी।
अनिल गोयल की दावेदारी से सुनील उनियाल गामा और उमेश अग्रवाल के बीच मतदाता के समीकरण गडबडा गये हैं। पर्वत जन के सूत्रों के अनुसार सब कुछ समय पहले अग्रवाल समाज की एक गोपनीय बैठक हुई थी जिसमें भाजपा से जुड़ें अग्रवाल समाज के लोगों ने यह तय किया था कि यदि उमेश अग्रवाल को टिकट नहीं मिला तो सभी कांग्रेस के दावेदार दिनेश अग्रवाल टिकट मिलने पर उन्हें सपोर्ट करेंगे। इनके साथ सुनील उनियाल गामा से नाराज लोग भी सपोर्ट करने के लिए तैयार हो गए थे। अनिल गोयल के मैदान में उतरने से व्यापारी वर्ग के समर्थन का ध्रुवीकरण अलग तरह से होने की उम्मीद है।