भूपेंद्र कुमार//
आखिर उत्तराखंड की पुलिस को ‘मित्र पुलिस’ को यूं ही नहीं कहते। गुरुवार दोपहर एक ऐसा ही मामला सामने आया, जब दून हॉस्पिटल तिराहे के पास करीब तीन लाख रुपए के सामान से भरा एक बैगपुलिस के एक सिपाही को मिला और उसने ईमानदारी से उस बैग को नि:स्वार्थ भाव से बैग स्वामी को लौटा दिया।
जानकारी के अनुसार गुरुवार दोपहर 12 बजे डीएल रोड निवासी अमित कुमार का एक बैग दून हॉस्पिटल तिराहे (दून हॉस्पिटल से कचहरी जाने वाली सड़क) पर गिरा था। तभी वहां से गुजर रहे पुलिस के सिपाही शिवकुमार की नजर पड़ी तो उन्होंने बैग अपने पास रख लिया और बैग स्वामी को ढूंढने लगे। इस बीच बैग स्वामी अमित कुमार ने भी 100 नंबर पर बैग खोने की सूचना दे दी। इस पर पुलिस ने सर्विलांस पर बैग खोने का एनाउंस कर दिया। जब अमित कुमार अपने बैग को ढूंढते-ढूंढते दून हॉस्पिटल के पास पहुंचे तो सिपाही शिवकुमार ने थोड़ी सी पूछताछ के बाद वह बैग उन्हें लौटा दिया।
बैग स्वामी अमित कुमार ने बताया कि उनके बैग में 50 हजार रुपए कैश, तीन तोले की सोने की चेन, एक आई फोन सहित कुल ३ लाख रुपए का सामान था। वह सिपाही की ईमानदारी से इतने खुश हुए कि शिवकुमार को 10 हजार रुपए ईनाम में देने लगे, लेकिन सिपाही ने इससे इंकार कर दिया।
सिपाही शिवकुमार राजभवन सिक्योरिटी में तैनात है। उनकी ईमानदारी से पुलिस महकमा का सीना भी चौड़ा हो गया है। यह संवाददाता सिपाही शिवकुमार को एसपी सिटी प्रदीप राय के पास ले गए और उन्हें अवार्ड दिलाए जाने की सिफारिश की। इस पर प्रदीप राय ने उन्हें अवार्ड दिलाए जाने का आश्वासन दिया है। वहीं शिवकुमार को बेस्ट पुलिस ऑफ द मंथ के सम्मान से नवाजे जाने की तैयारी की जा रही है।
बैग स्वामी अमित कुमार कहते हैं कि उत्तराखंड की मित्र पुलिस ऐसे ही नहीं कहा जाता, वह समय-समय पर ईमानदारी का ऐसे अनेक उदाहरण पेश करती रहती हैं।